बागवानी फसल उत्पादन इस बार 3500 लाख टन को कर सकता है पार, सरकार ने दी जानकारी

horticultural crops

किसानों की मेहनत, वैज्ञानिकों की खोज और सरकारों की नीतियों के कारण पिछले कुछ वर्षों में देश में बागवानी फसलों का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है। बागवानी फसलों को बढ़ाने के लिए सरकार 2014-15 से राज्यों में समेकित बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) लागू कर रही है। उद्यानिकी फसलों में किसानों को अधिक लाभ मिल रहा है। केंद्र सरकार ने अनुमान लगाया है कि 2022-23 के दौरान देश में कुल बागवानी उत्पादन 351.92 मिलियन टन हो सकता है। वर्ष के दौरान कुल खाद्यान्न उत्पादन 329.69 मिलियन टन से अधिक है। वर्तमान में, भारत दुनिया में सब्जियों और फलों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। केला, नींबू, , पपीता, भिंडी जैसी कई फसलों के उत्पादन में देश पहले स्थान पर है। किसानों की मेहनत, वैज्ञानिकों की खोज और सरकारों की नीतियों के कारण पिछले कुछ वर्षों में देश में बागवानी फसलों का उत्पादन लगातार बढ़ रहा है।

केंद्र सरकार समग्र विकास, क्षेत्र वृद्धि, उत्पादन और फसल पोरान्त अवसंरचना के सृजन के लिए वर्ष 2014-15 से राज्यों में समेकित बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच) नामक एक केन्द्रीय प्रायोजित स्कीम कार्यान्वित कर रही है। एमआईडीएच के तहत गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री, फल, सब्जियां, मसाले और वृक्षारोपण फसलों के उत्पादन के क्षेत्र का विस्तार हो रहा है। संरक्षित खेती और कटाई के बाद प्रबंधन, बुनियादी ढांचे के निर्माण, किसानों के प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण आदि के लिए सहायता दी जा रही है।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन लागू करेगी सरकार

भारत सरकार चावल, गेहूं, मोटे अनाजों, पोषक अनाजों (श्री अन्न) और दालों का उत्पादन बढ़ाने के लिए देश में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) का कार्यान्वयन कर रही है. एनएफएसएम के तहत, प्रथाओं के बेहतर पैकेज पर क्लस्टर प्रदर्शन, फसल प्रणालियों पर प्रदर्शन, बीज उत्पादन और उच्च उपज वाली किस्मों का वितरण किया जाएगा।

उन्नत कृषि मशीनरी, कुशल जल अनुप्रयोग उपकरण, पौध संरक्षण उपाय, पोषक तत्व प्रबंधन, मृदा सुधार, प्रसंस्करण और कटाई के बाद के उपकरण और फसल प्रणाली आधारित प्रशिक्षण आदि, जैसे कार्यों के लिए राज्यों के माध्यम से किसानों को सहायता प्रदान की जा रही है।

जानिए कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा क्या बोले

मिशन ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और राज्य कृषि का भी समर्थन किया है। इसमें विषय विशेषज्ञों/वैज्ञानिकों की देखरेख में विश्वविद्यालयों (एसएयू), कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) द्वारा किसानों को प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण और हस्तांतरण का प्रावधान है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री अर्जुन मुंडा ने मंगलवार को लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

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