दिल्ली मे किसानों का पिछले पांच दिनों से एमएसपी की गारंटी और स्वामीनाथन की रिपोर्ट को लागू करने के लिए धरना प्रदर्शन जारी है। वहीं केन्द्र सरकार और किसान संगठनों के बीच तीसरे दौर की वार्ता विफल रही है और अब चौथी बैठक रविवार को होने जा रही है। वहीं इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की आलोचना की है। खड़गे के अनुसार केंद्र विरोध करने वाले किसानों के साथ दुश्मनों की तरह व्यवहार कर रहा है। जिन्होंने दावा किया था कि केवल उनकी पार्टी ही न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रदान करने में सक्षम है। खड़गे ने कहा कि ,”मोदी सरकार देश के अन्नदाता किसानों के लिए अभिशाप है। लगातार झूठी ‘मोदी गारंटी’ के कारण पहले तो 750 किसानों की जान चली गई। कल एक किसान ने अपनी जान दे दी और तीन किसानों ने रबर की गोलियों से अपनी आंखों की रोशनी खो दी।” मोदी सरकार ने किसानों के साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार किया है। कांग्रेस ही उन्हें एमएसपी का कानूनी अधिकार दिलाएगी।
दरअसल, बैरिकेड पार करने की कोशिश में पुलिस के साथ झड़प के दौरान कई किसान और कुछ पत्रकार घायल हो गए। 17 फरवरी को विरोध प्रदर्शन पांचवें दिन पहुंचने पर शंभू सीमा पर सुरक्षा बल राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने की कोशिश कर रहे प्रदर्शनकारी किसानों को रोकते रहे। प्रदर्शनकारी किसान 13 फरवरी को अपना मार्च शुरू होने के बाद से सीमावर्ती इलाकों में रुके हुए हैं। 15 फरवरी को पंजाब-हरियाणा सीमा पर प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच चल रहे संघर्ष के दौरान सरकार के साथ तीसरे चरण की चर्चा में कोई समझौता नहीं हो सका। एएनआई ने बताया कि एक और बैठक 18 फरवरी को होने वाली है।
जानिए क्या चाहते हैं किसान?
‘दिल्ली चलो’ विरोध मार्च भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर अपनी मांगों को पूरा करने के लिए दबाव डालने के लिए आयोजित किया गया है। केंद्र सरकार से 12 मांगों को लेकर किसान दिल्ली कूच कर रहे हैं। यह विरोध प्रदर्शन संयुक्त किसान मोर्चा (एक गैर-राजनीतिक समूह) और पंजाब किसान मजदूर संघर्ष समिति द्वारा आयोजित किया गया है, जिसका नेतृत्व नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल और सरवन सिंह पंढेर कर रहे हैं।
किसानों का आरोप- सरकार ने किया था वादा
प्रदर्शनकारी किसानों का कहना है कि सरकार ने उन्हें उनकी फसलों के लिए अधिक कीमत देने का वादा किया था, जिसके कारण उन्हें 2021 में अपना विरोध प्रदर्शन बंद करना पड़ा। अब, वे एक ऐसा कानून चाहते हैं जो स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार सभी फसलों के लिए न्यूनतम मूल्य सुनिश्चित करे। वे यह भी चाहते हैं कि सभी कृषि ऋण माफ किए जाएं और किसानों और कृषि श्रमिकों के लिए पेंशन की योजना बनाई जाए।