केंद्र सरकार ने ग्लोबल साउथ तक भारत की पहुंच बनाने के लिए तीन अफ़्रीकी देशों में 1,10,000 टन चावल के निर्यात की इजाजत दी है। ऐसा उन देशों की खाद्य सुरक्षा की जरूरतों को पूरा करने के लिए किया गया है। घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए 20 जुलाई 2023 से गैर-बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया है , लेकिन कुछ देशों के अनुरोध पर निर्यात की अनुमति दी गयी है।
तीन देशों को मिली अनुमति
तंजानिया एक पूर्वी अफ्रीकी देश है, जबकि जिबूती अफ्रीकी महाद्वीप के उत्तरपूर्वी तट पर स्थित है। गिनी-बिसाऊ पश्चिम अफ़्रीका में एक उष्णकटिबंधीय देश है। इन देशों को केंद्र सरकार ने चावल के निर्यात की मंजूरी दी। भारत के विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार, जिबूती को 30,000 टन और गिनी बिसाऊ को 50,000 टन टूटे चावल निर्यात करने की अनुमति है। भारत ने पहले नेपाल, कैमरून, कोत दिव्वार, गिनी, मलेशिया, फिलीपींस और सेशेल्स जैसे देशों को चावल निर्यात की अनुमति दी है।
चावल की निर्यात पर लगा था प्रतिबंध
भारत सरकार ने चावल की निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था और यह प्रतिबंध खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने और घरेलु कीमतों को काबू में लाने के लिए भारत ने चावल की कुछ किस्मों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। जिसमें सितंबर 2022 में टूटे हुए चावल और जुलाई 2023 में गैर बासमती सफ़ेद चावल शामिल है।
प्रतिबंध के बाद भारत सरकार अपने राजनयिक साझेदार देशों और जरूरमंद देशों को मामले-दर-मामले के आधार पर चावल की आपूर्ति कर रही है और यह फैसला विदेश मंत्रालय की सिफारिश पर लिया गया है।