बाजार में विदेशी फलों की मांग तेजी से बढ़ रही है। किसानों के लिए विदेशी फलों की खेती फायदे का सौदा साबित हो रही है। बात करें ड्रैगन फ्रूट की तो ये महंगा भी है और सेहत के लिए लाभदाई भी। ये मधुमेह के खतरे को कम करता है, कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी से लड़ता है, इम्युनिटी बढ़ाता है, डाइजेशन को इम्प्रूव करता है साथ ही हार्ट हेल्थ के लिए ड्रैगन फ्रूट बेहतर माना है।
ड्रैगन फ्रूट की इतनी सारी खूबियों के साथ इसकी खेती भी किसानों के लिए प्रॉफिटेबल है। हिमाचल प्रदेश के किसान सुनील चंदेल ने इसकी गुणवत्ता और बाजार में इसकी डिमांड को समझते हुए हिमाचल के बिलासपुर जिले में ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है। सुनील चंदेल ने जिले के घुमारवीं के पास अपनी तीन कनाल भूमि पर ड्रैगन फार्म विकसित किया है। उन्हें इससे अच्छी कमाई की उम्मीद है।
हिमाचल प्रदेश में अधिकतर सेब की खेती की जाती है लेकिन विदेशी फलों की खेती का ये प्रयोग अनोखा है। ड्रैगन फ्रूट एक स्वादिष्ट फल है जिसकी कीमत लगभग 100 से 150 रुपए प्रति किलोग्राम होती है। इसकी खेती के लिए कम सिंचाई की आवश्यकता होती है। साथ ही इसकी फसल को जानवर भी बर्बाद नहीं कर सकते।
पिछले साल शुरू की थी ड्रैगन फ्रूट की खेती
कृषि और ग्रामीण विकास प्राधिकरण के सेवानिवृत्त परियोजना अधिकारी चंदेल ने कहा कि मैंने पिछले साल ड्रैगन फ्रूट कि खेती शुरू कि है और तीन साल में ये पौधे देना शुरू कर देंगे। उन्होंने कहा कि 100 खंबे लगाए हैं ,जिनमें से प्रत्येक में चार पौधे हैं। यानी उन्होंने कुल 400 ड्रैगन के पौधे लगाए हैं। सुनील चंदेल ने बताया कि इस फार्म में पकने के बाद करीब 15 क्विंटल ड्रैगन फ्रूट का उत्पादन होगा और इसकी बिक्री आसानी से करीब 2 लाख रुपये तक पहुंच सकती है। वहीं पायलट प्रोजेक्ट पर निवेश के बारे में सुनील चंदेल ने कहा कि खंभे और रिंग की लागत लगभग 2,000 रुपये है, जबकि श्रम और उर्वरक की लागत लगभग 50,000 रुपये है और लागत 1,500 रुपये से अधिक नहीं होगी।