किसान लगभग पूरे देश में प्याज की खेती करते हैं। लेकिन बाजार में रेट न होने के कारण इन्हें कोल्ड स्टोर में स्टोर कर लेते हैं। इसके लिए उन्हें कोल्ड स्टोर मालिक को किराए के रूप में मोटी रकम भी देनी पड़ती है। इसके बावजूद कोल्ड स्टोर के अंदर बड़ी मात्रा में प्याज सड़ जाता है। इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। बोरी में ज्यादा प्याज सड़ जाता है तो व्यापारी किसानों से कम रेट पर प्याज खरीदते हैं। लेकिन अब किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है क्योंकि सरकार कोल्ड स्टोरेज में रखे प्याज के सड़ने को कम करने के लिए एआई आधारित गोदाम बनाने की योजना बना रही है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एआई आधारित इन गोदामों से प्याज की बर्बादी में करीब 5 फीसदी की कमी आएगी। फिलहाल, यह एक पायलट प्रोजेक्ट होगा और मार्च में शुरू होगा। पायलट चरण के दौरान, प्याज उत्पादक राज्यों में लगभग 100 एआई-आधारित भंडारण सुविधाएं विकसित की जाएंगी। अधिकारियों के अनुसार, अगले तीन वर्षों में इस संख्या को लगभग 500 केंद्रों तक ले जाया जाना है। इसका मतलब है कि तीन साल में एआई स्टोर्स पर आधारित 500 कोल्ट्स बनाए जाएंगे।
इन राज्यों में बनेंगे एआई आधारित कोल्ड स्टोर
पहली एआई-आधारित भंडारण सुविधा राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ के सहयोग से नासिक, महाराष्ट्र में स्थापित की जाएगी। इसके बाद मध्य प्रदेश और कर्नाटक सहित भिड, लातूर और अन्य प्याज उत्पादक क्षेत्रों में ये सुविधाएं उपलब्ध होंगी। एक अधिकारी ने मीडिया को बताया कि किसानों को आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) के माध्यम से सूखापन और सड़न प्रतिशत जैसे विशिष्ट डेटा प्राप्त होंगे। एआई-आधारित सेंसर 100 के बैच में विशिष्ट प्याज की पहचान भी करेंगे जो सड़ने का खतरा है। उपयोग में। यानी अगर प्याज की बोरी में एक भी प्याज सड़ा हुआ है तो सेंसर उसके बारे में बताएगा।
11,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है
सरकारी अधिकारियों के अनुसार, सर्दियों के दौरान बोया गया प्याज का लगभग एक चौथाई पारंपरिक भंडारण सुविधाओं की उपस्थिति के कारण सड़ जाता है। इससे एक साल में देश को करीब 11,000 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है। हालांकि, अधिकारियों ने यह खुलासा नहीं किया कि सरकारी परियोजना की लागत कितनी होगी।
भारत दुनिया में प्याज का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है
भारत दुनिया में प्याज का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है। प्याज की खेती लगभग 1.4 मिलियन हेक्टेयर में की जाती है और इसका औसत वार्षिक उत्पादन लगभग 24 मिलियन टन है। लेकिन अनुमान है कि भारत में प्याज का उत्पादन 2022-23 में घटकर 3.02 करोड़ टन रह गया जो पिछले साल 3.17 करोड़ टन था।