गेहूं की महंगाई पर काबू पाने के लिए सरकार द्वारा खुले बाजार में गेहूं की बिक्री बढ़ाने का असर सरकार के गेहूं स्टॉक पर पड़ा है। रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक 1 दिसंबर तक 190 लाख टन तक पहुंच गया, जो दिसंबर की शुरुआत में 7 साल में सबसे कम स्टॉक है। ऐसे समय में गेहूं के स्टॉक में गिरावट आई है, जब देश में गेहूं की खेती पिछले साल की तुलना में पिछड़ रही है, देश में गेहूं का कुल रकबा 8 दिसंबर तक लगभग 249 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 251 लाख हेक्टेयर से अधिक था। हालांकि सरकार का दावा है कि गेहूं आयात करने की नौबत नहीं आएगी। क्योंकि कई राज्यों में मार्च से नया गेहूं बाजार में आ जाता है।
स्टॉक में गिरावट के कारण देश में गेहूं आयात की संभावना प्रबल हो गई है। आटा मिलें अपना परिचालन जारी रखने के लिए भारतीय खाद्य निगम द्वारा की जा रही नीलामी से गेहूं खरीद रही हैं। गेहूं की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए खुले बाजार में अधिक मात्रा में गेहूं बेचने के सरकार के कदम के बाद भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के पास मौजूद स्टॉक अगले वित्त वर्ष की शुरुआत तक बफर आवश्यकता से नीचे आने की संभावना है।
एफसीआई का बफर स्टॉक आ सकता है नीचे
चालू वित्त वर्ष में खुली बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत बिक्री के लिए मंजूर एक करोड़ टन के अलावा 25 लाख टन के अतिरिक्त आवंटन से एफसीआई के पास गेहूं का भंडार एक अप्रैल तक 74.8 लाख टन के बफर स्तर से नीचे आ सकता है। एफसीआई ने चालू वित्त वर्ष में जून से अब तक साप्ताहिक ई-नीलामी के माध्यम से अपने स्टॉक से 44.6 लाख टन गेहूं बेचा है और ई-नीलामी के लिए गेहूं का साप्ताहिक आवंटन 20 दिसंबर से बढ़ाकर चार लाख टन कर दिया गया है।