उपभोक्ताओं को बढ़ती महंगाई से राहत देने के लिए सरकार सस्ती दर पर खाद्य पदार्थों की आपूर्ति करने की कोशिश कर रही है। सहकारी समितियां नेफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार के माध्यम से लोगों को कम कीमतों पर आटा, दाल और अन्य वस्तुएं प्रदान कर रही हैं। अब सरकार लोगों को सस्ते दाम पर चावल उपलब्ध कराने की भी तैयारी कर रही है। सरकार बाजार में चावल की उपलब्धता बनाए रखने के लिए ई-नीलामी कर रही है, लेकिन थोक विक्रेताओं ने चावल कम उठाया है। वहीं, सरकार ने चावल की कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए निर्यात पर पहले ही रोक लगा दी है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि चावल में दोहरे अंकों की मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए, सरकार अब भारत ब्रांड के तहत चावल 25 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचेगी। चावल की बिक्री भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड), राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (एनसीसीएफ) और केंद्रीय भंडार आउटलेटके माध्यम से की जाएगी। सरकार पहले से ही भारत ब्रांड के तहत आटा और दाल बेचती है।
थोक विक्रेताओं ने ई-नीलामी में चावल का उठाव घटाया
पिछले महीने अनाज की कीमतों में वृद्धि के कारण नवंबर में खाद्य मुद्रास्फीति बढ़कर 8.70% हो गई, जो अक्टूबर में 6.61% थी। सरकार ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के माध्यम से ई-नीलामी के माध्यम से खुले बाजार में गेहूं की मात्रा बढ़ा दी है। इससे गेहूं की कीमत को नियंत्रित करने में मदद मिली है। हालांकि, थोक विक्रेताओं ने कम मात्रा में चावल का उठाव किया है। 2024 में आम चुनाव की तैयारी में जुटी सरकार के लिए चावल और गेहूं महंगा दाम एक समस्या हो सकती है। सरकार ने इससे निपटने के लिए पहले ही प्रयास तेज कर दिए हैं।
खुले बाजार में बिक्री के लिए नियमों में ढील
भारतीय खाद्य निगम ने हाल ही में चावल के लिए अपनी खुली बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) मानदंडों में कुछ रियायतों के साथ संशोधन किया है। बोलीदाता द्वारा बोली लगाए जाने वाले चावल की न्यूनतम मात्रा 1 मिलियन टन और अधिकतम 2000 मीट्रिक टन निर्धारित की गई है। बाजार में अनाज की आपूर्ति बढ़ाने के लिए खुले बाजार बिक्री योजना के तहत चावल की बिक्री बढ़ाने के लिए यह कदम उठाया गया है।