नए साल के आगमन के साथ ही उत्तर भारत में कोहरे और शीतलहर के साथ कड़ाके की ठंड पड़ रही है। इससे इंसानों के साथ-साथ पशु-पक्षी भी परेशान हो गए हैं। लेकिन इस कड़कड़ाती ठंड से किसानों के चेहरे खिल गए हैं। खासकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों का कहना है कि शीतलहर गेहूं फसल के लिए काफी फायदेमंद है और इससे गेहूं की अच्छी पैदावार हो सकती है। वहीं, भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (आईआईडब्ल्यूबीआर) के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह का कहना है कि शीतलहर और ठंड गेहूं की फसल के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। उनका कहना है कि अगर अगले कुछ दिनों में हल्की बारिश होती तो गेहूं उत्पादकों के लिए बेहतर होता। इससे फसल की वृद्धि तेजी से होती।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सहित प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों के विशेषज्ञों को भी इस मौसम में अच्छी पैदावार की उम्मीद है क्योंकि उत्तर भारत में कई दिनों से शीतलहर चल रही है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार ठंड के कारण गेहूं की फसल तेजी से बढ़ रही है। इससे फसल में पीला रतुआ रोग का असर देखने को नहीं मिल रहा है, जो किसानों के लिए अच्छी बात है। इस बीच, भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने भी अगले 24 घंटों के लिए उत्तर भारत में घना कोहरा छाए रहने का अनुमान जताया है। इस दौरान कड़ाके की ठंड पड़ेगी।
सामान्य से कम तापमान है फायदेमंद
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि रबी की फसल में गेहूं के लिए सामान्य से कम तापमान सबसे ज्यादा फायदेमंद होता है। अधिक ठंड और शीत लहर के कारण, गेहूं के दाने अधिक दृढ़ हो जाते हैं। आईआईडब्ल्यूबीआर के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि देश भर में गेहूं की बुवाई बेल्ट के व्यापक क्षेत्र सर्वेक्षण के बाद, , अभी तक, पीले रतुआ या किसी अन्य बीमारी की कोई रिपोर्ट या संकेत नहीं मिले हैं। उन्होंने कहा कि आईआईडब्ल्यूबीआर ने किसानों को परामर्श जारी कर उनसे फसल की निगरानी करने का आग्रह किया है।
यह है औसत तापमान
विशेषज्ञों के अनुसार, शीत लहर और भीषण ठंड की स्थिति न केवल गेहूं की फसल की वृद्धि में मदद करती है, बल्कि देर से बोई गई किस्मों के अंकुरण में भी मदद करती है। पीएयू के वीसी डॉ. एसएस गोसल ने कहा कि मौजूदा तापमान पिछले 53 वर्षों के सामान्य औसत से लगभग 7-8 डिग्री सेल्सियस कम है। हालांकि, उन्होंने किसानों को लंबे समय तक बादल छाए रहने और कोहरे के मौसम के संभावित नकारात्मक प्रभावों के बारे में भी आगाह किया।
114 मिलियन टन हो सकता है उत्पादन
उन्होंने कहा है कि शीतलहर के साथ-साथ गेहूं की फसल को भी पर्याप्त धूप मिलनी चाहिए। उन्होंने सरसों और सब्जियां उगाने वाले किसानों को ठंड के मौसम के प्रभाव को कम करने के लिए हल्की सिंचाई का उपयोग करने की सलाह दी। ऐसे में आईआईडब्ल्यूबीआर करनाल के वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इस बार देश में गेहूं का उत्पादन, सरकार द्वारा अनुमानित लक्ष्य 114 मिलियन टन तक पहुंच जाएगा।