केंद्र सरकार की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ने वाली हैं। क्योंकि किसानों ने सरकार की मुश्किलें बढ़ाने के लिए दिल्ली कूच करने की तैयारी कर ली है। फसलों के लिए एमएसपी की गारंटी देने के लिए कानून बनाने सहित कई मांगों को स्वीकार करने के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के लिए किसान 13 फरवरी को दिल्ली मार्च करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) के नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल ने दावा किया कि ‘दिल्ली चलो’ मार्च में देशभर के 200 से अधिक किसान संगठन हिस्सा लेंगे।
ये यूनियनें संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा का हिस्सा हैं। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) संयुक्त किसान मोर्चा से टूटा हुआ गुट हैं। दल्लेवाल ने चंडीगढ़ में संवाददाताओं से कहा कि जब किसानों ने निरस्त हो चुके तीन कृषि कानूनों का विरोध किया तो केंद्र ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी देने की प्रतिबद्धता जताई थी। दल्लेवाल ने कहा कि कॉरपोरेट सेक्टर के दबाव में सरकार अपने वादे पूरे नहीं कर रही है।
उन्होंने कहा कि मार्च की तैयारियां चल रही हैं और किसान कई स्थानों पर ट्रैक्टर रैलियां निकाल रहे हैं। दल्लेवाल ने कहा, “न केवल पंजाब बल्कि हरियाणा सहित अन्य राज्यों के किसान भी मार्च में हिस्सा लेंगे।” शंभू, खनौरी और डबवाली बॉर्डर से दिल्ली की ओर कूच करेंगे।
पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसान
किसान, मजदूर संघर्ष समिति के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि एमएसपी के लिए कानूनी गारंटी के अलावा, किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेत मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, पुलिस मामलों को वापस लेने और लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की भी मांग कर रहे हैं। मुख्य रूप से पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों ने अब निरस्त किए गए तीन कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ दिल्ली की सीमाओं – सिंघू, टीकरी और गाज़ीपुर – पर एक साल तक विरोध प्रदर्शन किया।