महाराष्ट्र में किसानों की समस्याएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं। प्याज के बाद, अब अंगूर की बारी है। कई मंडियों में अंगूर के दाम भी गिर गए हैं। प्याज के अलावा, नासिक जिला भी अंगूर का एक प्रमुख उत्पादक है। जिले के किसान अब अंगूर की गिरती कीमतों से चिंतित हैं। 6 फरवरी को मुख्य बाजार में केवल 15 क्विंटल की आवक होने के बावजूद किसान केवल 16 रुपये प्रति किलो के न्यूनतम मूल्य पर अंगूर बेचने को मजबूर थे। हालांकि प्रदेश की कई मंडियों में अंगूर का न्यूनतम भाव भी 40 से 50 रुपये प्रति किलो है। लेकिन किसानों को चिंता सता रही है कि आगे चलकर हालात और बिगड़ सकते हैं।
महाराष्ट्र देश का अग्रणी अंगूर उत्पादक राज्य है। वर्ष 2021-22 के दौरान कुल उत्पादन का 70 प्रतिशत से अधिक उत्पादन इसी राज्य में हुआ था। अंगूर की उत्पादकता के मामले में भी महाराष्ट्र पहले स्थान पर बताया गया है। यहां लाखों किसान परिवार अंगूर की खेती से जुड़े हैं। खासकर नासिक में प्याज के बाद इस फसल की खेती ज्यादा होती है। इसलिए किसानों का कहना है कि सरकार ने प्याज के दाम गिराकर किसानों को बर्बाद किया है, अब अंगूर पर ऐसा कोई फैसला न हो कि उसके काश्तकार परेशान हों।
बड़े पैमाने पर होता है निर्यात
महाराष्ट्र बड़े पैमाने पर अंगूर का निर्यात करता है। इसे सऊदी अरब, दुबई, रूस, कनाडा, चीन, अमेरिका, बांग्लादेश, जर्मनी, मलेशिया और यूरोपीय देशों में भेजा जाता है। इसलिए आयात-निर्यात नीति का प्रदेश के किसानों पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। वर्ष 2022-23 के दौरान देश भर से 267,950.39, मीट्रिक टन अंगूर का निर्यात किया गया। जिसकी लागत करोड़ रुपये थी।
किस बाजार की कीमत है?
छत्रपति संभाजीनगर मंडी में 82 क्विंटल अंगूर की आवक हुई। इसके बाद भी प्याज का न्यूनतम भाव 3300, अधिकतम मूल्य 8500 और औसत भाव 5900 रुपये प्रति क्विंटल पर पहुंच गया।
पुणे-मोशी मंडी में 122 क्विंटल अंगूर की आवक दर्ज की गई। इस बाजार में न्यूनतम मूल्य 3000, अधिकतम 4000 और औसत मूल्य 3500 रुपये प्रति क्विंटल था।
अमरावती मंडी में 138 क्विंटल अंगूर की आवक हुई। यहां न्यूनतम भाव 3500, अधिकतम 4500 और औसत 4000 रुपये प्रति क्विंटल था।
जलगांव मंडी में 11 क्विंटल अंगूर की आवक हुई। यहां न्यूनतम मूल्य 2000, अधिकतम 3500 और औसत मूल्य 2500 रुपये प्रति क्विंटल था।