आम खाने के शौकीनों के लिए इस बार आम का इंतजार थोड़ा लंबा हो सकता है। खराब मौसम और जलवायु परिवर्तन मौसमी फसलों को प्रभावित करते हैं। पिछले कई वर्षों से ओलावृष्टि और बेमौसम बारिश के कारण आम की फसलों पर असर पड़ा है। इस साल भी प्रकृति की मार पड़ी है। लेकिन बारिश के कारण ठंड बढ़ी है। जिससे पेड़ों के विकास के लिए अनुकूल वातावरण तैयार हुआ है। इसलिए इस वर्ष आम के पेड़ों पर बौर देर से आया हैं। किसानों ने बताया कि 70 से 80 फीसदी आम के पेड़ों पर संतोषजनक बौर आ गए है। हालांकि इस देरी के चलते बाजार में आम के दर बढ़ेंगे। जलवायु परिवर्तन के चलते इस बार आम की फसल में अभी तक बौर कम देखा जा रहा है। हर बार फरवरी के महीने में आम की फसल में फूल आ जाते हैं लेकिन, इस बार ऐसा नहीं हुआ है।
दशहरी ,लंगड़ा ,चौसा आम मिलेगा महंगा
आम एक ऐसा फल है जिसे बच्चों से लेकर बूढ़ों को प्रिय होता है लेकिन जलवायु परिवर्तन के चलते आम की फसल इस बार ज्यादा प्रभावित हुई है। ऐसे में आपको दशहरी आम ,चौसा ,लंगड़ा ,मालदा जैसे प्रसिद्ध आमों के लिए ज्यादा पैसे खर्च करने होंगे। विक्रमगढ़ क्षेत्र में 183 हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में उद्यानिकी किसानों द्वारा आम की फसल उगाई जाती है।
जलवायु परिवर्तन का असर
जलवायु परिवर्तन की वजह से पुरे विश्व में अनाज से लेकर सब्जियों की फसल पर प्रभाव पड़ा है। वहीं अब इसका असर बागवानी पर भी पड़ने लगा है। जलवायु परिवर्तन की वजह से न सिर्फ उत्पादन घटा है। बल्कि इससे कई फसल की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है। आम की फसल पर भी इस बार जलवायु परिवर्तन का बड़ा असर हुआ है।
प्रकृति की मार से किसान परेशान
पिछले सात-आठ वर्षों से प्रकृति की मार के कारण आम उत्पादक आर्थिक कठिनाइयों में फंसे रहते हैं। हालाँकि कुछ क्षेत्रों में बड़ी संख्या में बौर आये हैं। किसानों ने प्राकृतिक वातावरण में बदलाव के कारण उनके भी ख़त्म होने की संभावना व्यक्त की है। जिससे आम के उत्पादन पर असर पड़ेगा। बाजार में आम की संख्या घट सकती है। एक आम उत्पादक किसान के अनुसार अगर न्यूनतम तापमान में बढ़ोतरी होती है तो इससे कुछ बदलाव जरूर हो सकता है। जिसके चलते आम के पेड़ों पर इस बार पिछले साल की तरह बौर नहीं आएंगे, जिससे उत्पादन पर भारी असर दिखाई देगा।