पिछले साल की तुलना में इस साल देशभर में अच्छी बारिश होगी। मौसम विभाग की माने तो जून-अगस्त तक ला नीना का असर रहता है तो इस साल मॉनसून की बारिश अच्छी होगी। 2023 की तुलना में इस साल मॉनसूनी बारिश बेहतर रह सकती है। किसानों के लिए यह राहत की खबर है। क्यूंकि पिछले साल काम बारिश के कारण खेती के लिए पानी की समस्या से किसानों को अभी से ही दो चार होना पड़ रहा है।
वहीँ अगले महीने अप्रैल तक अल नीनो का असर ख़त्म होने वाला है। एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अल नीनो का प्रभाव भारत में मई के आगे तक रहेगा लेकिन, हालिया रिपोर्ट में यह बात कही गयी है की अल नीनो का प्रभाव अगले महीने खत्म हो जाएगा। अल नीनो के जाने से फसलों की पैदावार गिरने की आशंका भी खत्म हो जाएगी। अल नीनो में मौसम गर्म होने और बारिश घटने से पैदावार गिरने का डर रहता है। अब इस रिपोट से किसानों ने रहत की सांस ली है।
दरअसल, दुनिया के सात वैश्विक मॉडल में चार मॉडल ने एक साथ अल नीनो के अप्रैल में जाने के संकेत दिए हैं। कुछ मॉडल ने मई में अल नीनो के जाने की बात कही है। हालांकि अधिकांश मॉडल में अप्रैल तक अल नीनो के जाने का संकेत दिया है। यूएस नेशनल ओशनिक एंड एटमोस्फेयरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर ने बताया है कि अप्रैल अंत में अल नीनो के जाने की संभावना 79 परसेंट तक है। एक रिपोर्ट में कहा गया है कि जून-अगस्त और सितंबर-नवंबर के दौरान ला नीना की संभावना प्रबल रह सकती है।
अल नीनो और ला नीना का असर भारत पर कैसा होगा
अल नीनो प्रभाव एक विशेष मौसमी घटना है जो तब घटित होती है जब मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागर में समुद्र का तापमान सामान्य से ऊपर होता है। सीधे शब्दों में कहें तो इसके प्रभाव से तापमान काफी गर्म हो जाता है। इसके कारण, पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में गर्म सतह का पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता है, जो भारत के मौसम को प्रभावित करता है। ऐसे में भयानक गर्मी का सामना करना पड़ता है और सूखे की स्थिति बन जाती है। अल नीनो और ला नीना का असर भारत पर कैसा होगा, इसे लेकर वैज्ञानिक लगातार रिसर्च कर रहे हैं। इतना तो साफ है कि जून-अगस्त तक ला नीना का असर रहता है तो इस साल मॉनसून की बारिश अच्छी होगी। 2023 की तुलना में इस साल मॉनसूनी बारिश बेहतर रह सकती है।
रिपोर्ट में क्या कहा गया है
अल नीनो का प्रभाव औसतन दो से सात साल के दौरान देखा जाता है जो 9 से 12 महीने तक रहता है। अल नीनो के कारण, अफ्रीका और दक्षिण अमेरिका में भारी बारिश होती है जबकि दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में गर्मी बढ़ जाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि अल नीनो के कारण जलवायु परिवर्तन को बल मिल रहा है और दिन-ब-दिन तापमान में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है।
कब तक रहेगा असर
भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी आईएमडी ने अपनी हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि देश में इस साल अधिक गर्मी पड़ सकती है क्योंकि अल नीनो मई के अंत तक जारी रह सकता है। तेलंगाना, आंध्र प्रदेश और उत्तरी आंतरिक कर्नाटक, महाराष्ट्र और ओडिशा के कई हिस्सों में अधिक गर्मी की आशंका है । आईएमडी ने यह भी कहा है कि मार्च में सामान्य से अधिक बारिश रिकॉर्ड की जा सकती है।