हड़ताल के कारण महाराष्ट्र के सभी बाजार समितियां बंद ,करोड़ों का कारोबार रुका

वाणिज्य अधिनियम में संशोधन के खिलाफ राज्य की बाजार समितियां बंद हैं। जिससे करोड़ों का कारोबार ठप हो गया है। दरअसल, महाराष्ट्र राज्य बाजार समिति संघ 26 फरवरी सोमवार से हड़ताल पर है। प्रस्तावित कानून का बाजार समिति संघ ने विरोध किया था। अमरावती और नागपुर संभाग की 100 बाजार समितियों का लेन-देन भी पूरी तरह से बंद कर दिया गया। ट्रेड यूनियनों ने राज्य भर में मथाडी अधिनियम को सख्ती से लागू करने और बाजार समितियों को केंद्रीकृत करने वाले 2018 बिल को वापस लेने की मांग करते हुए बाजार समितियों को बंद कर दिया है और जोरदार आंदोलन शुरू किया है।

राज्यव्यापी बंद के कारण कृषि उपज की बिक्री रुकी

विपणन सुधारों में, राज्य सरकार सात बाजार समितियों पुणे, मुंबई, नासिक, नागपुर, सोलापुर, कोल्हापुर, सांगली को राष्ट्रीय दर्जा देने की दिशा में आगे बढ़ रही है। ये संशोधन बाजार समितियों को चुनावी प्रक्रिया से बाहर कर देंगे। सरकार द्वारा प्रशासनिक बोर्ड की नियुक्ति की जाएगी। इसका बाजार समितियों ने विरोध किया है। राज्यव्यापी बंद के कारण कृषि उपज की बिक्री रुक गई है।

लोकतांत्रिक तरीके से बाजार समितियां का कारोबार हो

ट्रेड यूनियन के अनुसार मथाडी अधिनियम को निरस्त करने के लिए मथाडी विधेयक पेश किया गया है। संबंधित बिल को वापस लिया जाए। मथाडी मंडल में श्रमिकों के बच्चों को प्राथमिकता से रोजगार दिया जाए और लोकतांत्रिक तरीके से बाजार समितियां का कारोबार चलता रहे। ट्रेड यूनियनों की ओर से दिए गए बयान में कहा गया है कि उन्हें केंद्रीकृत करने की कोई जरूरत नहीं है।

प्रस्तावित विपणन सुधारों के कारण हमाल-माथाडी आदि जैसी सभी बाजार इकाइयों को भी नुकसान होने की संभावना है। एक बार सीमांकित बाजार परिसर बंद हो जाने के बाद, बाहरी लेनदेन पर कोई नियंत्रण नहीं रहेगा। कृषि उत्पादों की कीमतें मनमाने ढंग से तय कर किसानों को धोखा दिया जाएगा। यह मांग की गई कि सरकार द्वारा नियुक्त प्रशासनिक निकायों की नियुक्ति के बजाय स्थानीय किसानों के प्रतिनिधियों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए।

बाजार समिति (बाजार समिति) विधेयक 2018 को भी केंद्रीकृत किया जाये

बाजार समितियों की मांग है कि मथाडी एक्ट को पूरे राज्य में सख्ती से लागू किया जाए। मथाडी अधिनियम को निरस्त करने के लिए मथाडी विधेयक पेश किया गया है। संबंधित विधेयक को वापस लिया जाना चाहिए और बाजार समिति (बाजार समिति) विधेयक 2018 को भी केंद्रीकृत किया जाना चाहिए। राज्य सरकार ने कृषि उपज विपणन अधिनियम विधेयक में संशोधन का प्रस्ताव दिया है, जिससे बाजार समिति सहित समिति के सभी घटकों का अस्तित्व समाप्त हो जायेगा। स्वाभिमानी समेत किसान संगठनों का आरोप है कि बाजार समितियों में प्रशासक नियुक्त करने की प्रक्रिया चल रही है।

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