भारत के चीनी उत्पादन में 7 प्रतिशत की गिरावट आई है। उद्योग द्वारा 1 अक्टूबर से 15 जनवरी के बीच उत्पादन के आंकड़े जारी किए गए हैं। इससे पहले अक्टूबर-दिसंबर के दौरान इसमें 9 प्रतिशत की गिरावट आई थी। अक्टूबर सीजन में हर महीने चीनी उत्पादन में गिरावट ने चिंता बढ़ा दी है। अनुमान है कि इसका असर खुदरा कीमतों में तेजी के रूप में दिखने की उम्मीद है। नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज (एनएफसीएसएफ) ने बुधवार को कहा कि भारतीय मिलों ने 1 अक्टूबर से 15 जनवरी के बीच 14.87 मिलियन टन चीनी का उत्पादन किया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 7% कम है।
सहकारी निकाय (एनएफसीएसएफ) के अनुसार, महाराष्ट्र का चीनी उत्पादन 6.09 मिलियन टन से गिरकर 5.1 मिलियन टन हो गया है। जबकि, कर्नाटक का उत्पादन 12.7 प्रतिशत गिरकर 31 लाख टन रह गया। उत्तर प्रदेश में उत्पादन 14.8 प्रतिशत बढ़कर 46.1 लाख टन हो गया। यूपी में उत्पादन बढ़ने की वजह मिलों का जल्दी शुरू होना बताया गया है।
चीनी उपलब्धता का अनुमान नीचे जा सकता है
सहकारी निकाय एनएफसीएसएफ के अनुसार, केंद्र सरकार ने गन्ने के रस से इथेनॉल के उत्पादन को प्रतिबंधित कर दिया है। सरकार और उद्योग के अधिकारियों ने पिछले महीने कहा था कि भारत ने मिलों को इथेनॉल उत्पादन के लिए 1.7 मिलियन टन तक चीनी को डायवर्ट करने की अनुमति दी है। ऐसे में स्थानीय खपत के लिए देश में चीनी की कुल उपलब्धता शुरुआती अनुमान से कम रहने की आशंका बनी हुई है।
सरकार बढ़ा सकती है सख्ती
चीनी उत्पादन में गिरावट से खुदरा कीमतें बढ़ सकती हैं। यह स्थिति खाद्य मुद्रास्फीति दर को और बढ़ा सकती है। आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए चीनी की कीमतों में मामूली उछाल भी सरकार के लिए चिंता का कारण बन सकता है। ऐसे में सरकार चीनी मिलों, भंडारण केंद्रों में जमाखोरी रोकने के लिए सख्ती बढ़ा सकती है, ताकि बाजार में चीनी की उपलब्धता बनी रहे, ताकि कीमतों को नियंत्रित करने में मदद मिले।