प्याज की कीमतों में लगातार हो रही गिरावट से परेशान किसान अब सरकार के खिलाफ विरोध दर्शाने के लिए प्याज रथ यात्रा निकाल रहे हैं। प्याज का सर्वाधिक उत्पादन करने वाले नासिक जिले से इन यात्रा की शुरुआत की गई है। इस यात्रा के जरिये किसान गांव-गांव घूमकर सरकार की गलत नीतियों और सही दाम न मिलने से आर्थिक तंगी में फसें अपनी व्यथा से लोगों को अवगत कराएंगे। यह यात्रा नासिक से शुरू की गई है जो प्याज उत्पादन का गढ़ है। रथयात्रा आमतौर पर राजनीतिक पृष्ठभूमि के लोग निकालते रहे हैं, लेकिन यहां किसान इसके लीडर हैं। किसानों की यह रथयात्रा वोट के लिए नहीं है बल्कि सही दाम के लिए है।
सभी बाजार समितियों में प्याज की ई-नीलामी करें शुरू
वही दूसरी ओर प्याज के मुद्दे पर अध्ययन के लिए गठित सुनील पवार समिति ने राज्य सरकार को एक महत्वपूर्ण सिफारिश की है। सस्ते दाम पर प्याज की बिक्री से बचने और प्रतिस्पर्धी मूल्य प्राप्त करने के लिए राज्य की सभी बाजार समितियों में प्याज की ई-नीलामी शुरू की जानी चाहिए। जिसके लिए सरकार को ई -नाम या ई -ट्रेडिंग जैसी योजना को जल्द ही लागु करना चाहिए। भंडारन की कमी और प्याज को सड़ने से बचने के लिए किसान जो मिले उस दाम में प्याज बेचने को मजबूर है। प्याज निर्यात पर पाबन्दी ने किसानों की मुश्किलें और बढ़ा दी है। अधिक आवक का व्यापारीभी फ़ायदा उठाते हैं। जिससे किसानोंको उचित दाम नहीं मिलता। ऐसे में प्याज की नीलामी से किसानों को राहत मिलेगी।
यात्रा में प्याज किसानों के संघर्षों की कहानियां
यात्रा जैसे-जैसे गांवों से गुज़रती है, यह हर कोने पर रुकती है, और ग्रामीणों को प्याज अर्थव्यवस्था और किसानों के संघर्षों की कहानियां सुनने के लिए आमंत्रित करती है। आयोजकों में से एक, केशव सूर्यवंशी ने किसानों की समस्याओं के प्रति सरकार की उदासीनता पर अफसोस जताया। दरअसल, बढ़ते सरकारी हस्तक्षेप की वजह से प्याज किसानों को औने-पौने दाम प्याज बेचने में लिए मजबूर होना पड़ रहा है। इससे उनमें सरकार के खिलाफ गुस्सा है। इसी गुस्से को जनता तक ले जाने के लिए किसानों ने रथयात्रा की शुरुआत की है।
केंद्र सरकार ने करीब तीन महीने पहले लगाया निर्यात पर प्रतिबंध
केंद्र सरकार ने करीब तीन महीने पहले प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद किसानों को प्याज का बहुत कम दाम मिल रहा है। हालाँकि सरकार ने किसानों को कुछ शर्तों के साथ बांग्लादेश में प्याज निर्यात की इजाजत दी है। लेकिन यह काफी नहीं है। किसान असमंजस में हैं कि वो आने वाले दिनों में प्याज की खेती करें या छोड़ दें। उधर प्याज उत्पादकों के लिए महाराष्ट्र के 118 मंडी समितियों में ई-नाम से लेनदेन शुरू कर दिया गया है। साथ ही अन्य बाजार समितियों को भी ई-नाम योजना के तहत प्याज खरीद-बिक्री का लेनदेन करना चाहिए। ताकि देश के अन्य हिस्सों से मांग बढ़ने पर दरें स्थिर रहें या प्रतिस्पर्धी दरें मिलें।
इसके अलावा, ई-नाम नीलामी प्रक्रिया को पारदर्शी बना देगा। समिति ने यह भी सिफारिश की है कि किसानों और व्यापारियों के बीच समन्वय होगा और राशि सीधे किसानों के बैंक खातों में जमा की जाएगी।
प्याज निर्यात के लिए दीर्घकालिक रणनीति की आवश्यकता
समिति के अनुसार केंद्र सरकार को कम से कम राज्य में प्याज की कटाई के मौसम के दौरान पड़ोसी देशों में प्याज के निर्यात की अनुमति देनी चाहिए। प्याज भंडारण के लिए उपयुक्त नहीं होता है। प्याज निर्यात के लिए दीर्घकालिक रणनीति की आवश्यकता है। निर्यात पर रोक से भारत के हक़ के विदेशी बाजार में अन्य देशों ने कब्ज़ा जमा लिया है। इसलिए सरकार को जल्द ही प्याज निर्यात पर फैसला लेना होगा।