World soil day: खतरनाक रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी की सेहत बिगड़ने लगी, ऐसे बनाए भूमि को स्वस्थ

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World soil day: उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग द्वारा किसानों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। विभाग का मानना है कि अगर किसान जागरूक होंगे तो मिट्टी की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी। मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए रासायनिक खाद के साथ गोबर और हरी खाद के उपयोग का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। भूमि की घटती उर्वरता को बढ़ाने के लिए कृषि वैज्ञानिक मिट्टी का परीक्षण कर पोषक तत्वों को बढ़ाने की सलाह दे रहे हैं। इसका सीधा लाभ किसानों को मिल रहा है। फसलों की पैदावार बढ़ रही है।

मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की कमी के कारण फसल उत्पादन कम हो रहा है। कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार अच्छी फसल उत्पादन के लिए मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा आवश्यक है। 5% या उससे अधिक होना चाहिए। जब मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की कमी होती है, तो जल धारण की क्षमता कम हो जाती है और पौधे नहीं फैलते हैं। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति कम हो जाती है और फसल उत्पादन कम हो जाता है।

मिट्टी की उर्वरता कमजोर हुई

कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि जमीन की उर्वरा शक्ति बढ़ाने के लिए किसानों को लगातार जागरूक किया जा रहा है। मिट्टी का परीक्षण करने के बाद वे ट्रीटमेंट कर फसल उगा रहे हैं, जिससे फसलों की पैदावार बढ़ रही है। जमीन में पोटाश और फास्फोरस होने के कारण पौधे जल्दी विकसित नहीं हो पाते हैं। साथ ही जमीन में नाइट्रोजन, सल्फर और मैग्नीशियम फसल उत्पादन बढ़ाने में सहायक होते हैं। हर साल संरचना की बुवाई करने से किसानों को मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी को पूरा करने में मदद मिलती है, जिसके कारण किसान रासायनिक उर्वरकों के साथ-साथ जैविक खाद का उपयोग कर सकते हैं।

रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से पोषक तत्व हो जाते हैं कम

रासायनिक उर्वरकों के लगातार उपयोग से मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी हो जाती है और धीरे-धीरे भूमि की उर्वरा शक्ति कम होने लगती है, जिससे फसल का उत्पादन कम हो जाता है। किसानों को भूमि की उर्वरता बनाए रखने के लिए गाय के गोबर और जैविक खाद का उपयोग करना चाहिए। कृषि विभाग की संगोष्ठियों के माध्यम से किसानों को जागरूक किया जा रहा है, जिससे अब खेतों की स्थिति पहले से बेहतर हो गई है।

गोमूत्र में फसलों के लिए होते हैं ये उपयोगी तत्व

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ में गोमूत्र का इस्तेमाल खेती में बड़े पैमाने पर हो रहा है। छत्तीसगढ़ सरकार 4 रुपए प्रति लीटर में गोमूत्र खरीदने का काम कर रही है। सरकार गोमूत्र के माध्यम से प्राकृतिक कीटनाशक और उर्वरक बनाने का भी काम कर रही है। आपको बता दें कि नाइट्रोजन,सल्फर, अमोनिया, कॉपर, यूरिया, यूरिक एसिड, फॉस्फेट, सोडियम, पोटेशियम, मैंगनीज, जैसे तत्वकार्बोलिक एसिड पाया जाता है। कृषि वैज्ञानिक बताते हैं कि फसलों की बेहतर ग्रोथ के लिए ये सभी तत्व बेहद जरूरी हैं। गोमूत्र का उपयोग फसलों पर कीटनाशक के रूप में भी किया जा सकता है। इसके अलावा गोमूत्र में जीवामृत, , बीजामृत, भी बनाया जा सकता है, जो भूमि को उपजाऊ बनाता है।

मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ कम हो रहे हैं

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ की कमी के कारण फसल कमजोर और पीली हो जाती है। फसल का दाना सिकुड़कर हल्का हो जाता है। जड़ कमजोर होने से पौधा नीचे की ओर झुक जाता है। अच्छी पैदावार के लिए मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाने की जरूरत है। मिट्टी में कार्बनिक पदार्थ आवश्यक हैं। किसानों को मिट्टी में कार्बनिक पदार्थों की मात्रा के बारे में जागरूक करके। 2 से.3% की वृद्धि हुई।

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