उत्तर प्रदेश | इस बार आम की फसल उत्तर प्रदेश के लिए बेहद खास होने वाली है। जलवायु परिवर्तन और मौसम में बदलाव के चलते आम की फसल को काफी नुकसान हुआ है। इसका प्रभाव फलों के आकार पर पड़ा है जिससे कि खरीददार इस खरीदने से कतरा रहे हैं। उत्तर प्रदेश की मंडियों में लंगड़ा, दशहरी, तोतातुरी व अन्य किस्मों के आमों की भरमार के बावजूद सन्नाटा छाया है।
मंडियों में ग्राहक ना आने के कारण दुकानदार चिंतित हैं इसकी सबसे बड़ी वजह जलवायु परिवर्तन के चलते आम के आकार में बदलाव हैं। पिछले साल के मुकाबले इस बार कि फसल में आम का आकार काफी छोटा हो गया हैं, जिससे किसान और खरीददार दोनों चिंतित हैं।
मौसम की मार के चलते उत्पादन में कमी
मौसम की मार के चलते इस बार उत्पादन लगभग 50% गिरने की आशंका हैं, ऐसे में किसानों के लिए निर्यात मील का पत्थर साबित हो सकता है, किसानों को उम्मीद है यदि इस सीजन में निर्यात होगा तो कमाई हो सकती है नहीं तो यह घाटे का सौदा होगा।
40 से 50 टन होता है उत्पादन
उत्तर प्रदेश के बगीचो में 2.75 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में लगभग 40 से 45 टन आम का उत्पादन होता है। ऐसा मन जा रहा है की इस बार आम के उत्पादन में कमी आएगी इसका मुख्य कारण मौसम में बदलाव है। मार्च के महीने महीने बौर आने समय पर बारिश हुई थी जिससे फसल को काफी नुकसान हुआ था। बौर आने के बाद जब उसमे फूल आना शुरू हुआ तो ओलावृष्टि, आंधी और बरसात से फसल को काफी नुकशान हुआ है।
दशहरी समेत लंगड़ा चौंसा की पैदावार हुई कम
आल इंडिया मैंगो एंड फ्रूट डेवलपमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष जुनैद फरीदी कहते हैं कि दशहरी के अलावा लंगड़ा चौसा समेत अन्य प्रजाति के आम को काफी नुकसान हुआ है।
पिछले साल 527 मीट्रिक टन आम हुआ था निर्यात
पिछले वर्ष उत्तर प्रदेश से काफी मात्रा में आम निर्यात हुआ था। अप्रैल से जनवरी तक 527 मीट्रिक टन आम विदेशो में निर्यात हुआ था। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया, इटली, नेपाल, इंग्लैंड,जर्मनी, दुबई ,स्वीडेन, भूटान, स्विट्ज़रलैंड, फ्रांस की देशों में उत्तर के आमों की मांग होती है। इस बार बहरीन, ग्रीस जापान, नूज़ीलैंड भी भेजे जायेंगे उत्तर प्रदेश के आम।