भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) गन्ने के दाम को लेकर पिछले 14 दिनों से उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिले के जिला कलेक्ट्रेट पर अनिश्चितकालीन धरना दे रही है। सोमवार को यूनियन कार्यकर्ताओं और सैकड़ों किसानों ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए ढोल-नगाड़ों के साथ शहर में जुलूस निकाला। वहीं किसानों ने कलेक्ट्रेट परिसर में गन्ने की होली भी जलाई। दरअसल, भारतीय भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) गन्ने के दाम में वृद्धि को लेकर पिछले 14 दिनों से जिला कलेक्ट्रेट परिसर में अनिश्चितकालीन धरने पर है। आज सरकार पर दबाव बनाने के लिए यूनियन के कार्यकर्ता और सैकड़ों किसान सड़क पर उतरे और ढोल नगाड़ों के साथ जुलूस निकाला।
17 मार्च को पूरे प्रदेश में होगा प्रदर्शन
जुलूस जिला कलेक्ट्रेट से शुरू होकर शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए वापस कलेक्ट्रेट परिसर में समाप्त हुआ। जिसके बाद किसानों ने यहां गन्ने की होली जलाकर अपने गुस्से का इजहार किया। भारतीय भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने भी ऐलान किया है कि अगर सरकार जल्द ही गन्ने का मूल्य 450 रुपये प्रति क्विंटल घोषित नहीं करती है तो 17 मार्च को पूरे प्रदेश में प्रदर्शन किया जाएगा। यदि 27 मार्च तक समस्या का समाधान नहीं हुआ तो इलाहाबाद वार्षिक अधिवेशन में विशाल किसान महापंचायत करने का निर्णय लिया जाएगा।
भारतीय किसान यूनियन ने सरकार को दी चुनौती
इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए भारतीय किसान यूनियन अराजनैतिक के सहारनपुर मंडल अध्यक्ष नीरज पहलवान ने कहा कि हम 14 दिन से यहां धरने पर बैठे हैं और सरकार कोई सुध नहीं ले रही है। लेकिन मुख्यमंत्री बार-बार घोषणा कर रहे हैं कि अगर वह दाम बढ़ाएंगे तो कब बढ़ाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार 10-5 रुपये दाम बढ़ाकर जनता को बेवकूफ बना रही है। लेकिन नहीं, उन्हें चुनाव से पहले दरें बढ़ानी होंगी, अगर वे चुनाव में फायदा उठाना चाहते हैं, अन्यथा इस बार उन्हें नुकसान होगा।
किसानों ने की फसलों को जलाया
जनता सब समझ चुकी है, हम हाथों में झंडा और तिरंगा लेकर यात्रा पर निकले और अपने शहर और गांव से आए लोगों को जगाने का काम किया। और हमने उस प्यारी फसल के लिए होली जलाई जिसे हमने साल भर पाला था, जिसे हमें बड़ी मजबूरी में करना पड़ा। अगर हमें इस आंदोलन में अपना बलिदान देना पड़ा तो हम पीछे नहीं हटेंगे और यह सरकार जागने का काम करेगी। यह इस देश का दुर्भाग्य है। आपने देखा होगा कि इस देश को बचाने का काम अगर कोरोना ने किया है तो वो कृषि और किसानों ने किया है।
चौधरी चरण सिंह ने किया काम
लेकिन यह सरकार हो या कोई भी सरकार, जब तक किसानों की अपनी सरकार नहीं होगी, तब तक किसानों की स्थिति में कोई सुधार नहीं होगा और किसानों पर अत्याचार जारी रहेगा। चौधरी चरण सिंह ने किसानों के लिए काम किया और उसके बाद किसी ने किसानों के लिए कोई काम नहीं किया। इसलिए हर कोई चौधरी चरण सिंह को अपना आदर्श मानता है। किसानों ने कहा कि जब तक हम इसे हासिल नहीं कर लेते, तब तक इस आंदोलन के लिए जिले या मंडल के कितने भी कार्यकर्ताओं को अपने प्राणों की आहुति क्यों न देनी पड़े, हम बिल्कुल भी पीछे नहीं हटेंगे और जीतकर ही निकलेंगे।