आम के खेती करने वाले किसानों के लिए जरूरी खबर, नहीं तो होगा नुकसान

लखनऊ :देश में आम की खेती बड़े पैमाने पर होती है और किसानों की आय का जरिया भी है। आम की फसल लगभग चार से पांच महीनों में तैयार होती है। ऐसे में किसानों को ध्यान रखना चाहिए कि वे सही समय पर सिंचाई, कीट प्रबंधन, और पोषक तत्वों के साथ संबंधित कृषि कार्य कर लें।

गर्मी का मौसम आम के बगीचों के लिए बहुत खास होता है इस मौसम में बगीचे की नियमित अंतराल पर सिचाई करनी चाहिए। बलुई मिटटी वाले बगीचों की सिचाई हफ्ते में एक बार करनी चाहिए और चिकनी मिटटी वाले बगीचों में 10 दिन के अंतराल पर करनी चाहिए।

जिंक, बोरान, आयरन, कॉपर आदि के घोल बाजार में आसानी से मिल जाते है यदि इनको 2 मिमी मात्रा को 1 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करेंगे तो फसल अच्छी होगी।

पोटेशियम क्लोराइड या पोटेशियम नाइट्रेट का उपयोग करें 

उत्तर प्रदेश में दशहरी, बॉम्बे ग्रीन और गौरजीत समेत अन्य कई किस्मों की पैदावार होती है। भातीय कृषि अनुसन्धान द्वारा विकसित पूसा लालिमा की पैदावार भी होती है। इन सभी किस्मों के फल 15 से 20 जून के बीच तैयार होने लगते हैं इसीलिए यदि आम के पेड़ो पर जून के पहले सप्ताह में पोटेशियम का छिड़काव किया जाता है तो फलों  की गुणवत्ता के साथ भण्डारण क्षमता भी बढ़ती है।

किसान भाई पोटेशियम क्लोराइड या पोटेशियम नाइट्रेट का उपयोग कर सकते हैं। यदि दोनों रासायनिक पदार्थ उपलब्ध नहीं हैं, तो किसान पोटेशियम सल्फेट का उपयोग कर सकते हैं और उसका 1% घोल तैयार करके छिड़काव करने से फसल को काफी लाभ होगा। 

जिन बगीचों के पास ईंट के भट्ठे होते हैं वहां पाया गया है कि ईट के भट्टों से जहरीली गैसें निकलती हैं, विशेष रूप से सल्फर डाइऑक्साइड, जिससे फलों में कोयलिया रोग आम में हो जाता है। इससे बचाव के लिए किसानों को मई महीने में प्रति लीटर पानी में 10 ग्राम बोरेक्स को मिलाकर छिड़काव करना चाहिए।

वर्तमान समय में आम के बगीचों में फल मक्खी नामक कीट आम के बागों में देखा जा रहा है उसकी मादा फल कि सतह पर नीचे अंडे दे देती है। उन अंडो से लार्वा निकलकर गोदे को खा जाते हैं जिससे कि फल सड़ने लगता है और खाने योग्य भी नहीं बचता है और टूटकर नीचे गिर जाता है।

मक्खी ट्रैप का समय पर करें बदलाव

संभवतः कुछ किसान भाइयों ने अपने बागों में फल मक्खी ट्रैप लगा ली होगी उन्हें इस बात का विशेष ध्यान देना चाहिए कि 15 से 20 दिनों के अंतराल पर उपचारित लकड़ी जो फल मक्खी ट्रैप पर रखी जाती है उसे बदलना आवश्यक होता है। जिन किसान भाइयों ने अभी तक फल मक्खी ट्रैप को नहीं बदला है, उन्हें जल्द से जल्द फल मक्खी ट्रैप लगाने की व्यवस्था करनी चाहिए।

एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में 15 से 20 फल मक्खी ट्रैप पर्याप्त होते हैं। फल मक्खी ट्रैप कि लकड़ी को उपचारित करने के लिए 3 रसायनो कि जरूरत पड़ती है।पहला इथाइल अलकोहल जिसकी 6 भाग मात्रा लें,दूसरा स्पाइनोशेड इसकी 3 भाग मात्रा लें ,तीसरा मिथाइल युजेनॉल इसकी 4 भाग मात्रा ले। इन सभी का घोल बना लें और एक प्लाईवुड के टुकड़े को कम से कम 72 घंटे तक घोल में भिगोकर रखें।

इसके साथ ही किसान भाइयों को 40 मिली स्पाइनोशेड को 100 लीटर पानी में घोलकर 10 से 15 दिन के बीच में छिड़काव करना चाहिए। जिन पेड़ो में अभी फल नहीं आ रहे हैं ऐसे में उन किसान भाइयों को नियमित अंतराल पर पेड़ो कि सिंचाई करनी चाहिए।

जो किसान भाई आम का बगीचा लगाने के बारे में सोंच रहे हिन् उनके लिए यह समय काफी खास है, उनको जून के महीने में गड्ढे खोदने की व्यवस्था कर लेनी चाहिए। गड्ढों को 20 से 25 दिन के लिए खुला हुआ छोड़ देना चाहिए जिससे की उनमे धुप लग जाये और उसके सभी जीवाणु और रोगाणु नष्ट हो जाएँ जिससे की उसमे लगने वाले पौधे को किसी प्रकार का नुकसान ना हो।

 

 

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