उत्तर प्रदेश सरकार की इस योजना के तहत पान की उन्नत किस्मों जैसे देसी, बंगाली, कलकत्ता, कपुरी, रामटेक, मगही, बनारसी आदि की खेती पर सब्सिडी दी जाएगी। योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक किसानों को यूपी की वेबसाइट पर जाकर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा। सरकार किसानों को कई प्रकार की फसलों की खेती पर सब्सिडी प्रदान करती है ताकि किसान सब्सिडी का लाभ उठाकर अपनी आय बढ़ा सकें। सरकार की कोशिश है कि किसान पारंपरिक खेती करने के साथ ही नकदी फसलों की खेती करें ताकि वे अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकें। इसी कड़ी में यूपी सरकार ने किसानों के लिए पान विकास योजना शुरू की है। इसके तहत पान की खेती पर किसानों को 50 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है। पान की खेती पर सब्सिडी देने के पीछे सरकार का मकसद देश में पान का उत्पादन बढ़ाने के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना है।
पान की खेती पर मिलेगी इतनी सब्सिडी
पान की खेती करने वाले किसानों को ध्यान देना चाहिए। यदि आप पान की खेती के लिए प्रति 1500 वर्ग मीटर बरेजा का निर्माण करते हैं, तो इसकी लागत लगभग 1,51,360.00 रुपये है। जिसका 50% अर्थात रू0 75.680.00 लाभार्थी कृषकों को अनुदान के रूप में दिया जायेगा। शेष 50 प्रतिशत यानी 75.680.00 किसानों को स्वयं भुगतान करना होगा। वहीं यूपी के कई जिलों में पान की खेती को बढ़ावा देने के लिए बरेजा निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। जिसके आधार पर 12 जिलों में कुल 63 बरेजा का निर्माण किया जाना है।
ऑनलाइन पंजीकरण करें
योजना का लाभ उठाने के लिए इच्छुक किसानों को www.upagriculture.com वेबसाइट पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करना होगा। पंजीकरण के बाद, लाभार्थी का चयन पहले आओ, पहले पाओ के आधार पर किया जाएगा।
किसे मिलेगा इस योजना का लाभ?
योजना के तहत सभी श्रेणी के किसान पात्र होंगे।
लाभार्थी के पास अपनी सिंचाई प्रणाली होना अनिवार्य है।
पान की खेती के इच्छुक किसानों को वरीयता दी जाएगी।
आवेदन पत्र के साथ जमीन का कागज संलग्न करना अनिवार्य होगा।
लाभार्थी किसान के पास उसका बैंक खाता और मोबाइल/फोन नंबर होना अनिवार्य है।
लाभार्थी के पास पहचान के रूप में वोटर कार्ड/राशन कार्ड/आधार कार्ड/पासपोर्ट में से कोई एक होना चाहिए।
इन किस्मों की खेती पर दी जाएगी सब्सिडी
योजना के तहत पान की उन्नत किस्मों जैसे देसी, बंगाली, कलकत्ता, कपुरी, रामटेक, मगही, बनारसी आदि की खेती पर सब्सिडी दी जाएगी। विभाग समन्वयक की भूमिका निभाते हुए गुणवत्ता सुनिश्चित करने का कार्य करेगा। लाभार्थी अपनी संतुष्टि और सुविधा के अनुसार संबंधित उत्पादकों/संस्थानों से आवश्यक वस्तुओं की खरीद करेगा।