भारत में बड़े पैमाने पर दूध का उत्पादन किया जाता है। हलाकि विकसित देश की तुलना में पशु उत्पादकता काम है। अब इसी अंतर को पाटने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) देश में दूध की उत्पादकता बढ़ाने के लिए लगातार काम कर रहा है। एनडीडीबी की पूरी कोशिश है कि 2030 तक वैश्विक दूध उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी एक तिहाई तक पहुंच जाए। एनडीडीबी के अध्यक्ष मीनेश शाह ने खुद इसकी जानकारी दी है। उन्होंने कहा है कि लक्ष्य हासिल करने के लिए पशुओं का प्रजनन, पोषण और उनके स्वास्थ्य पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है।
जानवरों की उत्पादकता बढ़ाना महत्वपूर्ण
द इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान में कुल वैश्विक दूध उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 24 प्रतिशत है, जो कि एक-चौथाई के करीब है। यह हमारे सकल घरेलू उत्पाद में 4-5 प्रतिशत का योगदान देता है। मीनेश शाह ने कहा कि उत्पादन के मामले में हमारी योजना 2030 तक वैश्विक स्तर पर हिस्सेदारी को 30 प्रतिशत या विश्व दूध का एक तिहाई तक बढ़ाने की है। इसे हासिल करने के लिए जानवरों की उत्पादकता बढ़ाना महत्वपूर्ण है। शाह ने कहा कि हालांकि भारत दूध का सबसे बड़ा उत्पादक है, लेकिन पशु उत्पादकता विकसित देशों की तुलना में कम है।
पांच-छह वर्षों से दूध उत्पादन 6 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ा
उन्होंने कहा कि भारत सरकार और एनडीडीबी उत्पादकता बढ़ाने के अपने मिशन पर मिलकर काम कर रहे हैं। इस संबंध में जानवरों का प्रजनन, पोषण और स्वास्थ्य महत्वपूर्ण क्षेत्र हैं। पिछले पांच-छह वर्षों से हमारा दूध उत्पादन 6 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से बढ़ रहा है, जबकि वैश्विक विकास दर 2 प्रतिशत है। हमें इसे बनाए रखना है। उन्होंने कहा कि असम में एनडीडीबी ने डेयरी क्षेत्र के समग्र विकास के लिए काम करने के लिए राज्य सरकार के साथ एक संयुक्त उद्यम कंपनी बनाई है।
उन्होंने कहा कि अगले सात वर्षों में दूध की खरीद बढ़ाने और अधिक किसानों को सहकारी आंदोलन के तहत लाने की योजना है। शाह ने कहा कि लोकप्रिय ब्रांड पूरबी का संचालन करने वाली वेस्ट असम मिल्क प्रोड्यूसर्स कोऑपरेटिव सोसाइटी (WAMUL) की स्थापित क्षमता को भी एक नए संयंत्र के उद्घाटन के साथ बढ़ाया जा रहा है।