मसालों के बिना भारतीय खाना फीका है। दुनियाभर में भारतीय मसालों की एक विशिष्ट पहचान है। लेकिन इनदिनों मसालों में केमिकल मिलावट की जो तस्वीर सामने आई है उससे मसाला कारोबारियों में हड़कंप मच गया है। यही नहीं विश्वभर में भारतीय मसालों के कारोबार पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। सिंगापूर और हॉन्गकॉन्ग में MDH और एवरेस्ट मसालों पर प्रतिबन्ध के बाद अन्य देशों ने भी इस मामले में कड़ा रुख अपनया है। यही हाल रहा तो विदेशों में भारतीय मसलों का कारोबार ठप्प पड़ सकता है।
अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भारतीय मसालों पर प्रतिबंध विचारधीन
भारतीय मसलों की खुशबू ईस्ट इंडिया कंपनी को भारत खींच लाइ थी। आधुनिक भारत में ईस्ट इंडिया कंपनी ने ही भारतीय मसालाें को वैश्विक पहचान दिलाई। लेकिन अब इस पहचान पर प्रश्न चिह्न लग गए हैं। हांगकांग और सिंंगापुर ने MDH और एवरेस्ट के कुछ मसालों पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसी तरह अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भारतीय मसालों पर प्रतिबंध विचारधीन है। अगर इसी तरह चीन और यूरोपियन यूनियन में भी फैसले लिए जाते हैं तो विशेषज्ञों का कहना है कि भारत के 50 फीसदी से अधिक मसाला एक्सपोर्ट पर असर पड़ेगा।
भारत दुनिया का अग्रणी मसाला एक्सपोर्टर है। साल 2022-23 में भारत से 1,404,357 टन मसालों का एक्सपोर्ट किया गया, जिसका बाजार भाव 3.95 बिलियन डॉलर था। इसी तरह 2023-24 में भारत ने 692.5 मिलियन डॉलर मूल्य के मसालों का निर्यात किया।
हांगकांग और सिंगापुर में भारतीय मासलों पर लगा है बैन
हांगकांग और सिंगापुर ने भारत के अग्रणी मसाला कंपनी MDH और एवरेस्ट के कुछ मसालों पर प्रतिबंध लगा दिया है। दोनों ही देशों ने मसालों में कीटनाशी एथिलीन ऑक्साइड (ETO) की मात्रा तय मानक से अधिक होने का हवाला देते हुए इसे मानव उपयोग के लिए अनुपयोगी बताया था।
अमेरिका ने MDH मसाले की 31 फीसदी एक्सपोर्ट शिपमेंट लौटाई
वहीं सिंगापुर और हांगकांग से पहले अमेरिका ने MDH मसाले की 31 फीसदी एक्सपोर्ट शिपमेंट को लौटा दिया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार बीते साल एमडीएच की तरफ से भेजी गई मसालों की 31 फीसदी शिपमेंट को अमेरिका ने वापस लौटा दिया था, जो 6 महीने की अवधि के दौरान लौटाई गई थी। अमेरिका ने मसालों की इस खेप में साल्मोनेला की मात्रा होने का हवाला देते हुए इसे वापस लौटा दिया था, जो एक कीटनाशी होता है।
एथिलीन ऑक्साइड से कैंसर का खतरा
एथिलीन ऑक्साइड एक मानव निर्मित केमिकल है, जो जलन पैदा करने वाली गैस है। जिसका प्रयोग कीड़ों को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है। तय मात्रा से अधिक होने पर यह कैंसर का कारण भी बन सकती है। इसके साथ ही एथिलीन ऑक्साइड के संपर्क में आने से सिरदर्द, जी मचलाना, आंखों और त्वचा में जलन, ब्राेंकाइटिस और पुलमोनरी एडिमा का खतर बढ़ जाता है, जबकि एथिलीन ऑक्साइड की अधिक मात्रा ब्रेन और नर्वस सिस्टम को भी नुकसान पहुंचा सकती है।
भारतीय मसाला बोर्ड ने जारी की गाइडलाइन
भारतीय मसाला बोर्ड ने मसाल एक्सपोर्टर के लिए एक नई गाइडलाइंस जारी की है, जिसमें मसालों में एथिलीन ऑक्साइड को प्रतिबंधि किया गया है। इसके साथ ही बोर्ड ने पैंकिजिंग के साथ मसालों की कीटनाशक मुक्त करने के लिए भी कई तरह के निर्देश एक्सपोर्टरों को दिए हैं।
एथिलीन ऑक्साइड का इस्तेमाल बंद करें किसान
विशेषज्ञों का कहना है कि कई किसान मसालों की तुड़ाई के बाद एथिलीन ऑक्साइड का प्रयोग उन्हें कीट मुक्त करने के लिए करते हैं। ऐसे में पैकैजिंंग के समय दोबारा प्रयोग होने से एथिलीन ऑक्साइड की मात्रा बढ़ जाती है। जो किसान बिना एथिलीन ऑक्साइड वाली फसल कंपनियों को देंगे, उन्हें बेहतर दाम मिल सकता है। क्योंकि भारत को अब मसालों के अंतरराष्ट्रीय बाजार में सशक्त वापसी की जरूरत है, जिसमें किसानों की भूमिका अहम हो सकती है।