कपास और सोयाबीन की उत्पादकता बढ़ाएगा महाराष्ट्र

कपास और सोयाबीन की उत्पादकता बढ़ाने के लिए  महाराष्ट्र सरकार एक्शन मोड़ में आ गई है। महाराष्ट्र इन दोनों फ़सलोंका प्रमुख उत्पादक है। राज्य सरकार अब कपास और सोयाबीन के उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्यभर किसानों को प्रशिक्षण और आर्थिक मदद देने की योजना बना रही है। महाराष्ट्र के कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने इस मामले में सम्बंधित कृषि अधिकारीयों के साथ मंत्रालय में समीक्षा बैठक की। उन्होंने कहा कि सोयाबीन की फसल की उत्पादकता बढ़ाने के लिए 26 जिले जबकि कपास की फसल के लिए 21 जिलों में उत्पादन बढ़ाने पर कार्यशालाओं का आयोजन किया जाये। इन कार्यशालाओं से  राज्य का कुल उत्पादन बढ़े और किसानों की कमाई में इजाफा होने में मदद मिलेगी। सोयाबीन के अलावा दूसरी तिलहन फसलों के मामले में भी एक्शन प्लान तैयार किया जायेगा।

सोयाबीन की उत्पादकता के मामले में महाराष्ट्र अव्वल

प्रमुख तिलहन फसल सोयाबीन की उत्पादकता के मामले में महाराष्ट्र पहले से ही सबसे आगे है। देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक मध्य प्रदेश में प्रत‍ि हेक्टेयर उत्पादकता 11 से 11.5 क्व‍िंटल प्रत‍ि हेक्टेयर है। जबक‍ि महाराष्ट्र में यह 14 से 15 क्व‍िंटल प्रत‍ि हेक्टेयर है। महाराष्ट्र सरकार आगे भी प्रमुख उत्पादक बना रहना चाहता है। इसलिए सरकार ने कुछ एक्शन प्लान बनाये हैं। मराठवाड़ा और विदर्भ के किसानों को कपास की खेती पर मौसम की मार झेलनी पड़ती है। सोयाबीन के दाम भी घटते बढ़ते रहते हैं। किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए सरकार कपास और सोयाबीन पर अधिक ध्यान दे रही है।

महाराष्ट्र में सोयाबीन उत्पादक 14 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर

देश के सबसे बड़े सोयाबीन उत्पादक मध्य प्रदेश में प्रति हेक्टेयर उत्पादकता 11 से 11.5 क्व‍िंटल प्रति हेक्टेयर है। जबकि महाराष्ट्र में यह 14 से 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। वही कपास उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र देश के अन्य सभी राज्यों में आगे है लेकिन उत्पादकता के मामले में राजस्थान और गुजरात से बहुत पीछे है। देश में कुल उत्पादित होने वाले कपास में महाराष्ट्र अकेले 27.10  प्रतिशत की हिस्सेदारी रखता है। ऐसे में अगर उत्पादकता बढ़ेगी तो उसकी कुल उत्पादन में भागीदारी और बढ़ जाएगी।

नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के उपयोग को बढ़ाने पर जोर 

कृषि मंत्री धनंजय मुंडे ने किसानों द्वारा नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के उपयोग को बढ़ाने के लिए इनका प्रचार-प्रसार करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इसे वर्ष 2024-25 के फसल प्रदर्शन पैकेज में भी शामिल किया जाना चाहिए। राज्य सरकार की कोशिश है की नैनो यूरिया और नैनो डीएपी के उपयोग में महाराष्ट्र राज्य देश में अव्वल बने।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *