अब नारियल कटाई के लिए कहें हेलो नारियल

भारत में स्टार्टअप आइडियाज़ की कोई कमी नहीं है। बस आपको आपके मौहोल को गौर से देखने की जरुरत है की यहाँ किस चीज की कमी है। कर्नाटक का हेलो नारियल भी एक ऐसा स्टार्टअप है जो नारियल के पेड़ से नारियल उतरवाने का काम करता है। नारियल के पेड़ लम्बे होते हैं और इनपर चढ़कर नारियल काटने पड़ते हैं। यह एक जोखिम भरा काम है। इसपर चढाई भी पैर में रस्सी बांधकर करनी पड़ती है।

इस काम के लिए मजदूरी कम मिलने के कारण अब बहुत से मजदूर इस काम को नहीं करते। इतना ही नहीं इसके कारण सुपारी की खेती करने वाले किसानों की भी परेशानी बढ़ गई है। उन्हें भी अपने पेड़ों में कीटनाशक और दवाओं का छिड़काव करने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं। लेकिन हेलो नारियल ने नारियल उत्पादकों की दिक्कतों को दूर कर दिया है।

एक फ़ोन या मेसेज से पाएं प्रोफेशनल नारियल की कटाई वाले 

अब उत्पादकों को एक फोन या मैसेज पर प्रोफेशनल नारियल की कटाई करने वाले लोग मिल जाते हैं। हेलो नारियल के नाम से यह काम करता है। यह एक समूह है जिन्हें आम तौर पर नारियल की कटाई का काम सौंपा जाता है। नारियल किसान फोन पर ही अपना स्लॉट बुक करते हैं फिर उसके बाद उनके लिए एक नारियल काटने वाले की नियुक्ति कर दी जाती है। किसान हेलो नारियल की टीम को अपना लोकेशन भेजते हैं जहां पर हेलो नारियल की टीम साइकिल से पहुंचती है।

एक पेड़ के लिए 50 रुपये चार्ज करते हैं 

टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक हेलो नारियल के अध्यक्ष वसंत गौड़ा बताते हैं कि उन्हें हर दिन 10-20 बुकिंग मिल रही है। टीम प्रत्येक पेड़ से नारियल तोड़ने के लिए 50 रुपये चार्ज करती है। एक नारियल तोड़नेवाला एक दिन में कम से कम 50 पेड़ से नारियल तोड़ लेता है। नारियल किसानों को बेहतर विकल्प प्रदान करने के लिए उन्हें अच्छी सर्विस देने के कारण अब उनके क्षेत्र का भी विस्तार हो रहा है। अब कुल 18 लोग टीम में हैं जो पेड़ में चढ़कर नारियल तोड़ते हैं। हेलो नारियल नारियल की कटाई के साथ दवाओं के छिड़काव के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करतें हैं।

स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर

हेलो नारियल ने डोटी तकनीक में निवेश किया है। इससे ना केवल कटाई की दक्षता में सुधार हुआ है बल्कि स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा किया है। हेलो नारियल की ही तरह कासरगोड़ में 300 नारियल काटनेवालों का एक समूह है। जिन्हें चिंगाड़ी कुटूम के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसा समूह है जो पूरी वर्दी के साथ और पेड़ चढ़ने के अपने उपकरण के साथ पहुंचते हैं। यह टीम बेहद तेजी के साथ काम करती है और 90 मिनट में 1000 पेड़ों की कटाई कर देती है।

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