कर्नाटक में अरहर के दाम में गिरावट देखने को मिल रही है। इससे एक तरफ ग्राहक खुश हैं तो दूसरी तरफ किसान परेशान हैं। किसानों को उम्मीद थी कि हाल ही में दालों की कीमतों में हुई बढ़ोतरी को देखते हुए उनकी उपज का भी अच्छा दाम मिलेगा। लेकिन नई फसल आने के बाद मंडियों में सप्लाई बढ़ गई, जिससे दाम गिर गए। अब किसानों को शक है कि उनकी उपज का सही दाम नहीं मिलेगा। उनकी कमाई नहीं बढ़ेगी। यहां के किसान उत्पादक राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन संघ (नेफेड) से बेहतर दाम दिलाने का आग्रह कर रहे हैं। किसान यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अरहर की खरीद जल्द हो।
कलबुर्गी एपीएमसी यार्ड में आवक बढ़कर 1,024 क्विंटल हो गई है, जो एक सप्ताह पहले 165 क्विंटल थी, जिससे अरहर की कीमतों में गिरावट आई है। गुरुवार को न्यूनतम मूल्य एक सप्ताह पहले के 9,025 रुपये से गिरकर 8,611 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया। इसके अलावा कई जिलों की मंडियों में भी यही स्थिति है।
तूअर की कीमतों में आ रही है गिरावट
तुअर की मंडी कीमतें, जो 12,600 रुपये प्रति क्विंटल की ऊंचाई पर पहुंच गई थीं, अब 9,000 रुपये के स्तर तक गिर गई हैं और आगे और गिर सकती हैं। दालों का आयात बढ़ने से भी कीमतों पर असर पड़ेगा। सरकार ने दालों का आयात बढ़ा दिया है, जिससे कीमतों में गिरावट देखने को मिल रही है। इस साल देर से और अनियमित मानसून ने अरहर की फसल को प्रभावित किया है। कृषि मंत्रालय का अनुमान है कि इस साल अरहर का उत्पादन 33 लाख टन होगा ।
कर्नाटक अरहर के प्रमुख उत्पादक राज्यों में से एक है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कलबुर्गी में कर्नाटक प्रदेश रेडग्राम ग्रोअर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बासवराज इंगिन ने कहा कि राज्य में फसल की आवक शुरू हो गई है और बाजार में आवक भी धीरे-धीरे बढ़ रही है, जिससे कीमतों में गिरावट आ रही है और किसानों को भी नुकसान हो रहा है।
3000 रुपये से ज्यादा की गिरावट
इंजन ने कहा कि तुअर का बाजार मूल्य 12,600 रुपये प्रति क्विंटल के सर्वकालिक उच्च स्तर को छू गया था, जो अब गिरकर 9,000 रुपये के स्तर पर आ गया है और इसमें और गिरावट आ सकती है। इंगिन ने कहा कि नेफेड के अधिकारियों ने हाल ही में क्षेत्र में किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के माध्यम से मॉडल कीमतों पर अरहर खरीदने के विकल्प पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि किसानों को बेहतर मूल्य दिलाने के लिए बिना किसी बिचौलिये के अरहर की खरीद करना बहुत जरूरी है। हम चाहते हैं कि वे एफपीओ और कर्नाटक राज्य दलहन बोर्ड के माध्यम से अरहर की खरीद में तेजी लाएं ताकि किसानों को तत्काल भुगतान मिल सके। उन्होंने कहा कि बाजार में तुअर की आवक बढ़ने के अलावा मसूर के आयात में वृद्धि से भी आगे चलकर कीमतों पर असर पड़ेगा। दाल व्यापार के अनुसार तुअर की ऊंची कीमतों के कारण मांग में कमी आई है और उपभोक्ता अन्य दालों की ओर रुख कर रहे हैं।