नौकरी छोड़ बनाया पॉली फार्म अब कमा रहा है लाखों

बिजनौर के हिमांशु एक ऐसे किसान है जिन्होंने अपने मार्केटिंग के करियर को छोड़ खेती को अपना जुनून बना लिया। हिमांशु ने 2014 में उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में स्थित अपने गांव में पॉली फॉर्म का निर्माण किया और आज वे अपने पॉली फार्म  में रंग बिरंगी सब्जियां और फूलों की खेती करते हैं।

पॉली फार्म ने बदला खेती का चेहरा 

17 बीघे जमीन पर स्थित इस पॉली फॉर्म में हिमांशु बीज रहित खीरा, रंगीन शिमला मिर्च, डच गुलाब,जिप्सी फूल उगते हैं। फूलों की खेती 12 महीने होती है। मौसम के अनरूप खेती से उन्हें अच्छा खासा मुनाफा भी हो रहा है। आज हिमांशु के पॉली फार्म में 14 लोग कार्यरत हैं। उन्होंने न सिर्फ जिले में खेती करने का तरीका बदला बल्कि यहाँ के लोगों के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा किये।

सरकार से 50% प्रतिशत की सब्सिडी

इस पॉलीहाउस के निर्माण के लिए उन्हें सरकार से 50% प्रतिशत की सब्सिडी मिली। 75 लाख के निवेश के साथ उन्होंने इस पॉली फॉर्म का निर्माण किया। इसके निर्माण में एक साल का समय लगा। आज ये पॉली फार्म जिले में हिमांशु की पहचान बन गया है।

जयपुर, जम्मू कश्मीर, गुजरात, लखनऊ में बिकती हैं सब्जियां 

हिमांशु मौसम के अनुरूप सब्जियों और फूलों का उत्पादन करते हैं। उन्होंने मार्च के महीने में खीरे का उत्पादन किया। जून के अंत में वे शिमला मिर्च की खेती करते हैं। पॉली फॉर्म से उगाई गई सब्जियां जयपुर, जम्मू कश्मीर, गुजरात, लखनऊ में बेची जाती है।

ड्रिप सिंचाई तकनीक का इस्तेमाल

पौधों को पानी देने के लिए ड्रिप सिंचाई तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। इससे पानी की बचत होती है। ड्रिप सिंचाई पौधों को अत्यधिक पानी देने से रोकती है। यह एक टाइमर के साथ पूरी तरह से स्वचालित है और निराई भी कम करती है।

जैविक खाद से बढ़ती हैं गुणवत्ता

पौधों के लिए हिमांशु जैविक खाद का उपयोग करते हैं । साथ ही गुलाब के पौधों पर कीटनाशकों का भी प्रयोग करते हैं ताकि पौधों को कोई बीमारी न हो और उनकी गुणवत्ता बानी रहे।

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