महाराष्ट्र की मंडी में मिर्च की रिकॉर्ड आवक, लाल मिर्च की कीमत से किसानों को फायदा

Guntur chilli market

महाराष्ट्र की मंडियों में लाल मिर्च की आवक शुरू हो गयी है। वहीं राज्य की नंदुरबार कृषि उपज मंडी समिति में प्रतिदिन 300 से 400 क्विंटल मिर्च 300 से 400 वाहनों तक विक्रय के लिए आ रही है। फरवरी के पहले सप्ताह में पिछले दस वर्षों में सबसे अधिक आवक देखी गई। इस समय गीली लाल मिर्च की कीमत 2500 से 9000 हजार रुपए तक है।

नंदुरबार महाराष्ट्र में सबसे बड़े मिर्च उत्पादक जिले के रूप में जाना जाता है। नंदुरबार कृषि उपज मंडी समिति मिर्च की खरीद-बिक्री के लिए देश की दूसरी सबसे बड़ी मंडी मानी जाती है। यहां रोजाना 300 से 400 गाड़ियां तीन से चार हजार क्विंटल मिर्च बेचने आती हैं। फरवरी के पहले सप्ताह में पिछले दस वर्षों में सबसे अधिक आवक देखी गई। पिछले साल पूरे सीजन में 2 लाख 25 लाख हजार क्विंटल मिर्च की आवक हुई थी। हालांकि इस साल फरवरी के पहले सप्ताह में बाजार 2 लाख 60 हजार क्विंटल की सीमा को पार कर चुका है। अनुमान है कि सीजन के अंत तक मंडी समिति 3 लाख क्विंटल खरीद का आंकड़ा पार कर लेगी।

गुजरात और एमपी में भी होता है उत्पादन

इस साल, नंदुरबार जिले और पड़ोसी राज्यों गुजरात और मध्य प्रदेश ने बड़ी मात्रा में मिर्च का उत्पादन किया है। नंदुरबार बाजार समिति में पिछले दस वर्षों में सबसे अधिक आवक हुई है। इस समय गीली लाल मिर्च की कीमत 2500 से 9000 हजार रुपए तक है। जबकि सूखी लाल मिर्च की कीमत 7500 से 18000 हजार रुपए तक मिल रही है। ऐसे में प्रतिदिन 100 से 150 वाहन से 2000 क्विंटल मिर्च आ रही है। अनुमान है कि यह सीजन मार्च के अंत तक जारी रहेगा।

जिले में सबसे ज्यादा खेती

नंदुरबार जिले में मिर्च की खेती बड़ी मात्रा में की जाती है। हालांकि, इस साल बेमौसम बारिश और आसमान में बादल छाए रहने के कारण कुछ स्थानों पर वायरल बीमारियों से मिर्च की फसल प्रभावित हुई है। मिर्च की फसल पाउडर फफूंदी और लीफहॉपर से प्रभावित हुई थी। ऐसे में किसानों को मिर्च की अच्छी पैदावार मिली है। किसानों ने मिर्च के खराब पोषण के कारण मिर्च उत्पादन में भारी कमी की आशंका व्यक्त की थी।

मिर्च के उत्पादन में कमी

इस साल जिले में जलवायु परिवर्तन से मिर्च व्यापारी और किसान सबसे ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं। आसमान में लगातार बादल छाए रहने और बेमौसम बारिश से फसल प्रभावित हो रही है। इस कारण मिर्च की फसल में मिर्च का काला पड़ना व विभिन्न रोगों के कारण उत्पादन कम हो गया।

 

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