अगर मीडिया की खबरों पर विश्वास किया जाए तो आने वाले दिनों में देश में चीनी की कमी हो सकती है। क्योंकि इसके उत्पादन में गिरावट आई है। इंडियन शुगर एंड बायो के अनुसार, भारत में चीनी मिलों ने 1 अक्टूबर, 2023 से शुरू हुए चालू सीजन में 15 फरवरी तक 223.68 लाख टन (लीटर) चीनी का उत्पादन किया है। खास बात यह है कि एक साल पहले इसी अवधि में चीनी मिलों ने 229.37 लाख टन चीनी का उत्पादन किया था। यानी चीनी का उत्पादन पिछले साल के मुकाबले मिलों ने इस बार 15 जनवरी तक 2.5 फीसदी कम चीनी का उत्पादन किया है। हालांकि, इससे पहले चीनी उत्पादन में गिरावट का अंतर 5 फीसदी था जो 15 जनवरी तक और कम हो गया है।
खाद्य मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि इस साल अधिक उत्पादन मुख्य रूप से सरकार द्वारा पेराई की शुरुआत में ही इथेनॉल पर अंकुश लगाने के कारण हुआ है। अधिकारियों ने कहा कि अप्रैल के अंत तक, उत्पादन पर स्थिति अधिक स्पष्ट हो जाएगी क्योंकि तब तक चीनी या गन्ने के खिलाफ सभी बाधाओं का पता चल जाएगा। इस्मा ने एक बयान में कहा कि इस साल 15 फरवरी को कुल 505 कारखाने में काम हो रहा था। जबकि एक साल पहले यह संख्या 502 थी।
इन राज्यों में 22 चीनी मिलें बंद
मौजूदा सीजन में महाराष्ट्र और कर्नाटक की फैक्ट्रियां बंद होने लगी हैं। इन दोनों राज्यों में इस साल कुल 22 फैक्ट्रियां बंद हुई हैं। जबकि पिछले साल इसी तारीख को 23 फैक्ट्रियां बंद हुई थीं। देश के प्रमुख उत्पादक राज्य महाराष्ट्र में चीनी का उत्पादन घटकर 79.45 लाख टन रह गया जो पिछले साल की समान अवधि में 85.93 लाख टन था। इसी तरह, तीसरे सबसे बड़े उत्पादक राज्य कर्नाटक में उत्पादन 46.05 लाख टन से घटकर 43.20 लाख टन रह गया है।
इन राज्यों में घटा चीनी का उत्पादन
हालांकि, सबसे बड़े गन्ना उत्पादक उत्तर प्रदेश में चीनी उत्पादन 15 फरवरी तक 67.77 लाख टन अधिक होने की सूचना है, जो एक साल पहले की समान अवधि में 61.20 लीटर थी। इस्मा ने यह भी कहा है कि गुजरात में चीनी उत्पादन 7.31 लाख टन से घटकर 6.85 लाख टन और तमिलनाडु में 5.59 लाख टन से घटकर 4.50 लाख टन रह गया है।
बढ़ सकती है महंगाई
इसी तरह, बिहार, हरियाणा और पंजाब सहित अन्य राज्यों ने मिलकर 21.91 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है। जबकि एक साल पहले चीनी उत्पादन का आंकड़ा 23.29 लाख टन था। यानी इन राज्यों में चीनी का उत्पादन घटा है। ऐसे में जानकारों का कहना है कि गन्ना पेराई सीजन खत्म होने के बाद भी अगर चीनी का उत्पादन कम रहता है, तो इसकी कीमतें बढ़ सकती हैं।