लखनऊ : खेतों में पराली जलाने से पर्यावरण को होनेवाले नुकसान को रोकने के लिए योगी सरकार द्वारा विस्तृत दिशा निर्देश जारी किए गए है |इस बार पराली के सीजन में पराली प्रबंधन के लिए पुख्ता कदम उठाने का फैसला लिया है। इसे अपराध की श्रेणी में माना जाएगा और इसके एवज में किसानों से ढाई हजार से लेकर 15 हजार रुपये तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेश के अनुसार फसल अवशेष जलाया जाना दंडनीय अपराध है और इससे पर्यावरण को होने वाली क्षति की भरपाई संबंधित व्यक्ति से ही की जानी है। राजस्व विभाग के तय मानकों के अनुसार दो एकड़ से कम क्षेत्र के लिए 2500 रुपये, दो से पांच एकड़ क्षेत्र के लिए 5000 रुपये, और पांच एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए 15 हजार रुपये तक का पर्यावरण कंपनसेशन पराली जलाने वाले से वसूला जाएगा।
राज्य सरकार के आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया है कि राजस्व ग्राम के लेखपाल की यह जिम्मेदारी होगी कि वह अपने क्षेत्र में फसल अवशेष जलाने की घटनाएं बिलकुल न होने दें, यदि ऐसा हुआ तो उसके खिलाफ भी विभागीय कार्यवाही की जाएगी।
केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग
केंद्रीय वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग का कहना है कि हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश व राजस्थान सरकार से पराली प्रबंधन के लिए किए जा रहे उपायों की हर सप्ताह रिपोर्ट मिलेगी तो प्रदूषण नियंत्रण के उपायों की सही समीक्षा हो सकेगी। उन्होंने कहा है कि इन सरकारों को पराली जलाने से रोकने के लिए किए गए उपायों, जलाने वालों पर कानूनी कार्रवाई, किसानों को जलाने से रोकने के लिए प्रेरित करने और प्रोत्साहित करने जैसे उपायों की रिपोर्ट सितंबर के बाद हर सप्ताह देनी होगी। उन्होंने कहा कि किसान आमतौर पर सिंतबर के आखरी सप्ताह या अक्तूबर के आरंभ से पराली जलाना आरंभ करते हैं। आयोग ने इन चारों राज्यों की सरकारों को कम से कम पराली प्रबंधन के लिए कम से 50 कार्यशालाएं आयोजित करने को भी कहा है।