केंद्र सरकार ने कुछ प्रमुख खाद्य तेलों के लिए कम आयात शुल्क व्यवस्था को एक साल के लिए बढ़ा दिया है। सरकार को उम्मीद है कि उसके इस फैसले से खाद्य तेलों के दाम में कमी आएगी। जिससे आम जनता की रसोई का बिगड़ा हुआ बजट फिर से पटरी पर आ जाएगा। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि घटाई गई आयात शुल्क मार्च 2024 में समाप्त होने वाली थी। ऐसे में सरकार ने इसे बढ़ाकर मार्च 2025 तक कर दिया। यानी अब मार्च 2025 तक व्यापारी घटी हुई ड्यूटी पर खाद्य तेलों का आयात कर सकते हैं।
दरअसल, जून के महीने में केंद्र सरकार ने खाद्य तेलों के आयात शुल्क में कटौती की थी। सरकार ने रिफाइंड सोयाबीन तेल और रिफाइंड सूरजमुखी तेल पर आयात शुल्क 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया था। सरकार का मानना है कि महंगाई में आयात शुल्क की अहम भूमिका होती है। यदि शुल्क में कटौती की जाती है, तो कीटों में भी गिरावट आती है। इससे सरकार को घरेलू बाजार में कीमतें कम करने में भी मदद मिलेगी।
सरसों के रकबे में आया उछाल
भारत खाद्य तेलों का दुनिया का सबसे बड़ा उपभोक्ता है, साथ ही वनस्पति तेलों का दुनिया का सबसे बड़ा आयातक भी है। यह अपनी जरूरतों का 60 प्रतिशत आयात के माध्यम से पूरा करता है। इसमें बड़ा हिस्सा पाम ऑयल और इसके डेरिवेटिव्स का है, जिनका इंडोनेशिया और मलेशिया से आयात किया जाता है। भारत में, सरसों मुख्य रूप से उगाया जाता है और इसके साथ ही ताड़, सोयाबीन और सूरजमुखी की खेती की जाती है। इस साल देश में सरसों के रकबे में उछाल आया है।
महंगाई दर में हुई बढ़ोत्तरी
भारत में खुदरा महंगाई दर नवंबर में पिछले तीन महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। इसका मुख्य कारण खाद्य पदार्थों की कीमत में वृद्धि है। नवंबर में खुदरा महंगाई दर बढ़कर 5.55 फीसदी हो गई थी। वहीं, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक अक्टूबर के दौरान 4.87 प्रतिशत दर्ज किया गया था।
केन्द्र सरकार ने हटाया आयात शुल्क
बता दें कि केंद्र सरकार खुदरा महंगाई पर लगाम लगाने के लिए लगातार कोशिश कर रही है। हाल ही में सरकार ने कीमतों को नियंत्रित करने के लिए प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद सरकार ने पीली मटर को आयात मुक्त कर दिया। सरकार को उम्मीद है कि उसके इस फैसले से दाल की कीमतों में कमी आएगी। इससे आम जनता को राहत मिलेगी।