छत्तीसगढ़ के किसानों की मुख्य उपज धान है और इसकी उत्पादकता के मामले में छत्तीसगढ़ अन्य राज्यों से काफी आगे है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ को ‘धान का कटोरा’ भी कहा जाता है। राज्य की नवगठित वीडी सांव सरकार ने भी धान उत्पादन के मामले में किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर धान बेचने वाले किसानों को बोनस देने की योजना शुरू की है। इसके तहत किसानों द्वारा धान की सरकारी खरीद 3100 रूपए प्रति क्विंटल की दर से की जा रही है। सरकार ने इस साल 130 लाख मीट्रिक टन धान खरीद का लक्ष्य रखा है। अब तक 63 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान की खरीदी की जा चुकी है।
कृषि विभाग की ओर से बताया गया कि छत्तीसगढ़ में, 01 नवंबर से किसानों से एमएसपी पर लगातार धान खरीदी की जा रही है। धान खरीदी का यह अभियान 31 जनवरी 2024 तक जारी रहेगा। विभाग के अनुसार प्रदेश में अब तक 13 लाख 34 हजार 119 किसानों से 63 लाख 22 हजार 32 मीट्रिक टन धान खरीदा जा चुका है। इसके एवज में बैंक लिंकिंग सिस्टम के तहत किसानों को , करोड़ रुपये का भुगतान किया जा चुका है।
विभाग की ओर से बताया गया कि राज्य के सभी जिलों में बने धान विक्रय केंद्रों पर आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं, ताकि किसानों को एमएसपी पर अपनी धान की उपज बेचने में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। साथ ही तौल में किसी भी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों को अपनाया गया है। किसानों को जल्द से जल्द भुगतान करने की भी व्यवस्था की गई है।
कस्टम मिलिंग भी है जारी
विभाग की ओर से बताया गया कि प्रदेश में धान खरीदी के साथ-साथ कस्टम मिलिंग के लिए धान का उठाव करने का उद्देश्य जारी है। इसके लिए 51 लाख 24 हजार 619 टन धान उठाव के विभागीय आदेश जारी कर दिए गए हैं। इस आदेश का पालन करते हुए मिल संचालकों द्वारा 38 लाख 57 हजार 479 टन धान का उठाव किया गया है।
खाद्य विभाग के सचिव ने मिलर्स को धान का तेजी से उठाव करने के साथ ही कस्टम मिलिंग का चावल नियमित रूप से जमा करने के निर्देश दिए हैं। कस्टम मिलिंग से चावल वर्तमान में नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा लिया जा रहा है। 1 जनवरी से एफसीआई सेंट्रल पूल का चावल जमा होना शुरू हो जाएगा। इसके अलावा राइस मिलर्स को पिछले वर्ष के कस्टम मिलिंग के चावल की शेष मात्रा भी जल्द से जल्द जमा करने के निर्देश दिए गए हैं।