देश में लगातार बढ़ रही गेहूं की कीमतों पर अब लगाम लग गई है। देश भर की मंडियों में गेहूं की आवक शुरू हो गई है। मंडियों में गेहूं की नई फसल जैसे-जैसे आ रही है, वैसे-वैसे कीमतों में भी गिरावट आ रही है। एक महीने पहले गेहूं की भारी मांग और कम आवक के कारण गेहूं की कीमतें आठ महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। आलम यह था कि देश की कई मंडियों में गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य से लगभग दोगुने दाम पर बिक रहा था। लेकिन, अब कीमतें लगभग बराबर हो गई हैं। मंडियों में गेहूं की आवक शुरू होते ही कीमतों में गिरावट आई है और कीमतें एमएसपी के स्तर पर पहुंच गई हैं।
एमएसपी के बराबर पहुंची गेहूं की कीमत
पिछले महीने की तुलना में इस महीने गेहूं की कीमतों में काफी गिरावट आई है। पिछले महीने भाव 4200 रुपये प्रति क्विंटल को पार कर गया था। लेकिन, अब ये कीमतें एमएसपी के बराबर पहुंच गई हैं। केंद्र सरकार ने गेहूं पर 2275 रुपये / क्विंटल की एमएसपी तय की है। देश की अधिकांश मंडियों में गेहूं की कीमतें एमएसपी के बराबर या उससे थोड़ा ऊपर चल रही हैं। केंद्रीय कृषि किसान कल्याण मंत्रालय के एगमार्कनेट पोर्टल के अनुसार, मंगलवार (1 जनवरी) को कर्नाटक की बेंगलुरु और शिमोगा मंडी को छोड़कर देश की अन्य सभी मंडियों में गेहूं की कीमतें 4,000 रुपये प्रति क्विंटल से नीचे रहीं)। बेंगलुरु और शिमोगा के बाजारों में गेहूं की कीमतें सबसे अधिक ,4,300 रुपये प्रति क्विंटल हैं।
इसी तरह मध्य प्रदेश की विदिशा मंडी में गेहूं 3800 रुपये प्रति क्विंटल बिका। जबकि, बदनावर मंडी में सबसे कम दाम मिले। जबकि, गेहूं 2130 रुपये प्रति क्विंटल बिका है जो एमएसपी से नीचे है। इसके अलावा, महाराष्ट्र की सांगली मंडी में गेहूं का सबसे अच्छा भाव 3800 रुपये/क्विंटल मिला। जबकि, औराद शाहजानी मंडी में सबसे कम भाव 2200 रुपये/क्विंटल मिला. राजस्थान, उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों में भी यही स्थिति है। गेहूं का औसत मूल्य 2500 रुपये प्रति क्विंटल मिल रहा है, जो एमएसपी से कुछ ही ऊपर है। वहीं, कई मंडियों में कीमतें एमएसपी से नीचे चली गई हैं।