नागपुर: अंबिया बहार संतरे के निर्यात के लिए शासन स्तर से 180 करोड़ रुपये की सब्सिडी की घोषणा की गई थी। लेकिन सीजन खत्म होने के बाद दी जाने वाली इस सब्सिडी का फायदा सिर्फ निर्यातक व्यापारियों को ही होगा। जिसके चलते किसानों के संगठन ने किसानो कि मांग उठाते हुए सरकार से मृग बहार संतरे के उत्पादकों को प्रति एकड़ 20 हजार का अनुदान की मांग की है। बांग्लादेश नागपुरी संतरे का एकमात्र आयातक है। बांग्लादेश ने पिछले अंबिया सीज़न के दौरान आयात शुल्क में भारी बढ़ोतरी की थी।
वहीं प्रति किलोग्राम 88 रुपये का आयात शुल्क लगाया था। इससे अमरावती, नागपुर से संतरे के निर्यात पर असर पड़ा था। जिसके चलते संतरे के दाम कम हो गए थे। पिछले सीजन में अंबिया बहार फल महज 1,500 रुपये प्रति क्विंटल पर बिका था। इस मौसम के फलों की कीमत आमतौर पर 2000 से 2500 रुपये प्रति वर्ष होती है।
संतरा किसानों की सरकार से गुहार
अंबिया संतरे की खेती करने वाले किसानों को भारी नुकसान होने के कारण उन्होंने सरकारी स्तर पर सब्सिडी देने की मांग की है। सरकार ने इस पर संज्ञान लेते हुए शीतकालीन सत्र में संतरा उत्पादकों को सब्सिडी देने की घोषणा भी की थी। इस अनुदान के वितरण का आदेश हाल ही में जारी किया गया है। लेकिन इस आदेश का संतरा उत्पादकों को कोई फायदा नहीं हुआ। व्यापारियों ने आयात शुल्क बढ़ने का दावा करते हुए कम दाम पर फल खरीदे। किसान संगठनों का कहना है कि संतरा व्यापारी अपना मुनाफा जोड़कर बांग्लादेश निर्यात करते हैं। घाटा न होने के बावजूद भी व्यापारियों को सब्सिडी मिल रही है।
180 करोड़ की सब्सिडी दे सरकार
अंबिया बहार संतरा उत्पादकताओं का जो नुकसान होना था वो तो हो चुका, इसलिए अगर सरकार सब्सिडी देना ही चाहती है तो मृग बहार उत्पादक किसानों को दें। मृग बहार उत्पादकों की संख्या करीब 20 हजार है। उनके लिए पांच एकड़ की सीमा के अंदर प्रति एकड़ 20 हजार रुपये की सब्सिडी सीधे उनके खाते में जमा करायी जाये और इस 180 करोड़ की सब्सिडी से किसानों को फायदा होगा।