आमों का राजा हापुस की बाजार में एक खास पहचान है। हापुस की पैदावार पहले केवल महाराष्ट्र के कोंकण तक सीमित थी लेकिन अब गुजरात के वलसाड में भी हापुस आम की खेती की जाती है। देश और विदेश में अल्फांसो आम की मांग ज्यादा होती है। हालांकि इस बार फसल पर बेमौसम बारिश की मार पड़ी है लेकिन व्यापारियों को उम्मीद है की देश विदेश में हापुस की बढ़ती लोकप्रियता और डिमांड से नुकसान को कवर कर लिया जायगा।
1200 से 1500 में बिक रहा है वलसाड हापुस
वलसाड का हापुस बाजार में 1200 से 1500 में बिक रहा है। वलसाडी हापुस कई एंजाइम का कॉम्बिनेशन होता है जिसकी वजह से इस आम का स्वाद उम्दा बन जाता है। यही कारण हैं की गुजरात के वलसाड में व्यापारी हर साल आम की बिक्री से महीने में 20 से 30 हजार कमा लेते हैं। वलसाड हापुस की मांग बाजार में तेजी से बढ़ रही है।
इस आम की क्या है खासियत
हापुस आम की खासियत की बात करें तो सारे आमों के किस्मों से हापुस आम की मिठास ,स्वाद और सुगंध उम्दा होती है इसलिए इसकी कीमत ज्यादा होने पर भी बाजारों में इसकी डिमांड है। ख़ास बात यह है कि आम पकने के एक हफ्ते तक ख़राब नहीं होता।
दक्षिण गुजरात में 573229 मीट्रिक टन उत्पादन
वलसाड हापुस आम के उत्पादन की बात करें तो दक्षिण गुजरात में 573229 मीट्रिक टन, मध्य गुजरात में 96331 मीट्रिक टन, उत्तर गुजरात में 21506 मीट्रिक टन, सौराष्ट्र और कच्छ में इन आमों का उत्पादन 306763 मीट्रिक टन है। अप्रैल का अंत या मई महीना वलसाडी हापुस को खरीदनें का सबसे अच्छा समय है।