भारत में पानी का संकट गहराने लगा है। पानी की कमी से किसान ही नहीं आम आदमी भी परेशान है। फिलहाल पानी की किल्लत का ज्यादा असर कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में दिखाई दे रहा है। कहा तो यहां तक जाने लगा है की आने वाले समय में बेंगलुरु में केपटाऊन जैसी परिस्थिति निर्माण हो सकती है। साल 2015 में केपटाउन को भयंकर जल संकट से गुजरना पड़ा था। लेकिन बात सिर्फ बंगलुरु की नहीं बल्कि एक रिपोर्ट की माने तो आने वाले समय में पुरे भारत को पानी की कमी से गुजरना पड़ सकता है।
शहरीकरण जल संकट की बड़ी वजह
बेंगलुरु में इस स्थिति के लिए कावेरी बेसिन में बारिश की कमी को जिम्मेदार बताया जा रहा है। यहां से शहर की 60 फीसदी सप्लाई होती है। इस वजह से शहर के भूजल भंडार में कमी आ गई है। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार के अनुसार, शहर के 13,900 सार्वजनिक बोरवेलों में से 6,900 सूख गए हैं। तेजी से बढ़ रहे शहरीकरण को भी संकट के लिए बड़ी वजह बताया जा रहा है। बेंगलुरु में सन् 1800 के दशक में शहर में 1452 वॉटर बॉडीज थी। इसकी करीब 80 फीसदी क्षेत्र हरियाली से ढका हुआ था। अब, सिर्फ 193 ही वॉटर बॉडीज बची हैं जबकि हरियाली का आंकड़ा भी चार फीसदी से कम हो गया है।
बेंगलुरु में केपटाऊन से भी बदतर हालत
एक्सपर्ट की माने तो बेंगलुरु में पानी की किल्लत की वजह पानी का मिसमैनेजमेंट है। यही हाल रहा तो बेंगलुरु को कुछ साल पहले दक्षिण अफ्रीका की राजधानीकेपटाऊन से भी बदतर स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। केपटाऊन को 2015 और 2018 के बीच पानी की गंभीर कमी का सामना करना पड़ा था। तालाबों का पानी सुख गया था। इसकी वजह से शहर की वॉटर सप्लाई खत्म होने की कगार पर थी।
2025 तक गंभीर रूप से भूजल कम होने का अनुमान
बेंगलुरु जैसे हालात देश के बाकी हिस्सों में भी देखने को मिल सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र की साल 2023 में आई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में इंडो-गंगेटिक बेसिन के कुछ क्षेत्रों में पहले ही भूजल की कमी के चरम स्तर को पार कर चुके हैं। इसके पूरे उत्तर-पश्चिमी क्षेत्र में साल 2025 तक गंभीर रूप से भूजल कम होने का अनुमान है।
बारिश में इजाफा लेकिन भूजल स्तर में गिरावट
सितंबर 2023 में आई एक और रिपोर्ट में कहा गया था कि सन् 2041-2080 के दौरान भारत में भूजल की कमी की दर ग्लोबल वार्मिंग के साथ वर्तमान दर से तीन गुना होगी। जैसे-जैसे देश गर्म होगा, लोग अंडरग्राउंड वॉटर का ज्यादा से ज्यादा प्रयोग करेंगे जिससे पानी की कमी तेजी से होगी। इस रिपोर्ट को तैयार करने वाले वैज्ञानिकों ने कहा था कि बारिश में इजाफा तो होगा लेकिन भूजल स्तर में गिरावट होगी। इसके कारण सिंचाई के प्रयोग में संभावित कमी के बावजूद खतरनाक स्थिति पैदा हो सकती है।