कीकर के पेड़ में विभिन्न प्रकार के औषधीय गुण होते हैं। इसकी छाल और पत्तियाँ कई प्रकार की बीमारियों में कारगर होती है। इसकी लकड़ियों से विभिन्न प्रकार के फर्नीचर बनाये जाते हैं।
जलवायु परिवर्तन के कारण भू-जल संकट की समस्या बढ़ गई है। खेतो में तरह तरह के रासायनिक उर्वरकों के प्रयोग से उत्पादक छमता लगातार घट रही है। घटते उत्पादन से मुनाफा भी कम हो रहा है जिससे कि किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है। ऐसे में किसान बंजर ज़मीन पर कीकर के पेड़ों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
5 से 6 साल में अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं
कीकर का पेड़ शुष्क और अर्ध-शुष्क वाले क्षेत्रों में अच्छी तरह से विकसित होता है। इसकी खेती के लिए दोमट और रेतीली मिटटी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। इसका पौधा अधिक तापमान वाले क्षेत्रों में अच्छी तरह से विकसित होता है। इसके पेड़ में कई प्रकार लाभकारी औषधीय गुण पाये जाते हैं। किसान भाई इस पेड़ को लगाकर 5 से 6 साल में अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं। इसके पेड़ नर्सरी में आसानी से मिल जाते हैं या फिर पेड़ से बीज लेकर नर्सरी में तैयार किये जा सकते हैं।
औषधीय गुणों से भरपूर है पेड़
कीकर के पेड़ में विभिन्न प्रकार के औषधीय गुण पाये जाते हैं जो कई प्रकार की बीमारियों में कारगर होते हैं। कीकर की पत्तियां, छाल व फलियां एंटी-इंफ्लेमेटरी यौगिकों,एंटीऑक्सिडेंट्स और एंटीमाइक्रोबियल गुणों से भरपूर होती है। विशेषज्ञों की माने तो कीकर की पत्तियां व छाल मधुमेह, दस्त ,बुखार और अन्य स्वास्थ सम्बन्धी समस्याओं के लिए कारगर है।
लकड़ी से बनाये जाते हैं फर्नीचर
कीकर के पेड़ पत्तियां, छाल व फलियां जानवरों को चारे के रूप में भी खिलाई जाती हैं, जिसमे प्रोटीन फाइबर जैसे कई प्रकार के पोषक तत्व पाये जाते हैं जो की जानवरों के स्वास्थ के लिए लाभकारी होते हैं। इससे जानवरों में दुग्ध उत्पादन की छमता बढ़ जाती हैं। इसकी लकड़ियों से विभिन्न प्रकार के फर्नीचर बनाये जाते हैं जो की घरों दफ्तरों और स्कूल में प्रयोग किये जाते हैं। कीकर की लकड़ी से बने फर्नीचरों में दीमक नहीं लगती है जिससे की ये अधिक टिकाऊ होते हैं।