मुंबई : एक प्रमुख व्यापार संगठन ने कृषिभूमि को बताया कि भारत में गेहूं की पैदावार 2023 में सरकारी अनुमान से कम से कम 10% कम है जिसके कारण पिछले दो महीनों में इसके दामों में तेजी से वृद्धि हुई है। लगातार दूसरे वर्ष गेहूं का कम उत्पादन नई दिल्ली के प्रधान और समग्र खाद्य मुद्रास्फीति की कीमतों पर नियंत्रण रखने के प्रयासों को जटिल बना सकता है। यह अल नीनो मौसम पैटर्न के पूर्वानुमान के बीच एक प्रमुख चिंता का विषय है।
भारत में हर साल108 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं की खपत होती है
बाजार में गेहूं की उपलब्धता बहुत ही खराब है। रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन के अध्यक्ष प्रामोद कुमार एस ने बताया कि उत्पादन लगभग 101 मिलियन से 103 मिलियन टन के करीब हुआ है। सरकार के मुताबिक वर्ष 2023 में गेहूं का उत्पादन 112.74 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़कर पिछले साल के मुकाबले 107.7 मिलियन मीट्रिक टन पर पहुंच गया है। भारत वार्षिक रूप से लगभग 108 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं का उपभोग करता है।किसान मार्च के महीने से गेहूं की कटाई की शुरुवात करते हैं और जून तक अपनी फसल का कुछ हिस्सा राज्य की एजेंसियों और निजी व्यापारियों को बेच देते हैं।
पिछले दो महीनों में नई दिल्ली में गेहूं के दाम 10% तक बढ़ोतरी हुई है, जो 24,900 प्रति रुपये मेट्रिक टन हो गई है जिसके कारण सरकार ने पहली बार 15 सालों में व्यापारियों के पास गेहूं स्टॉक रखने की मात्रा पर सीमा लगाने का फैसला किया है।
गलत अनुमान के चलते निर्यात पर लेना पड़ा यू-टर्न
नई दिल्ली स्थित व्यापारी एक वैश्विक व्यापारी घर के साथ भी कहा कि कृषि मंत्रालय ने इस वर्ष की गेहूं की उत्पादन की अधिक मात्रा का गलत अनुमान लगाया था जबकि एक मुंबई स्थित व्यापारी ने कहा कि सरकार ने फरवरी और मार्च में लू और बेमौसम बारिश को ध्यान रखने में विफल रही।गलत अनुमान के चलते सरकार को पिछले साल निर्यात पर यू-टर्न लेना पड़ा था। मुंबई के व्यापारी ने कहा कि इस वर्ष दिसंबर तिमाही में कर मुक्त आयात की अनुमति देने के लिए बाध्य हो सकती है।भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं का उपभोक्ता है। रूस के युक्रेन पर आक्रमण के चलते आई वैश्विक उत्पादन में कमी के कारण भारत ने मई 2022 में अचानक तापमान में वृद्धि के कारण उत्पादन में कमी आई तो निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी ।