झारखंड सहित पूर्वी क्षेत्र के किसानों के लिए खूंटी के तोरपा ब्लॉक में किसान मेले का आयोजन किया गया था। मेले का उद्घाटन केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने किया। इस मौके पर कृषि मंत्री ने कहा कि यह मेला देश के पूर्वी क्षेत्र के किसानों के लिए काफी फायदेमंद होगा, जिसका महत्व खेतों में दिखेगा। केंद्र सरकार हर राज्य को कृषि में आत्मनिर्भर बनाने और किसानों की आय बढ़ाने की कोशिश कर रही है। किसान गर्व से कहें कि हम किसी के पीछे नहीं हैं, लेकिन हम मजबूत हैं और हमारे माध्यम से हमारा देश भी मजबूत है।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तत्वावधान में राष्ट्रीय कृषि उच्च प्रसंस्करण संस्थान, रांची के तत्वावधान में कृषि विज्ञान केंद्र, तोरपा, खूंटी में आयोजित इस मेले में पूर्वी राज्यों के हजारों किसानों ने भाग लिया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पूर्वी क्षेत्र में इस मेगा मेले का आयोजन इस बात को ध्यान में रखते हुए किया गया है कि किसानों को पारंपरिक खेती से कैसे जोड़ा जाए, उनकी आय कैसे बढ़ाकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाया जाए, कृषि से जुड़े विभिन्न मुद्दों को कैसे हल किया जाए। अर्जुन मुंडा ने कहा कि आज हम अपनी खाद्य जरूरतों को पूरा करने की स्थिति में हैं, लेकिन हमें भविष्य के लिए भी तैयारी करनी होगी। क्योंकि भूमि सीमित है और जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में उत्पादन के साथ-साथ उत्पादकता बढ़ाने पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
किसानों को नई-नई तकनीक से जोड़ा जा रहा है
प्रबंधन एवं शासन के माध्यम से गुणवत्ता एवं पोषक उत्पादन बढ़ाने के प्रयास किए जा रहे हैं। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी को जोड़कर पारंपरिक एवं पोषक तत्व आधारित खेती को बढ़ाकर किसानों के जीवन में समृद्धि और आत्मनिर्भरता की दिशा में कार्य कर रहा है। लगातार काम कर रहे हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, परिषद और मंत्रालय के माध्यम से किसानों को नवाचारों से जोड़ा जा रहा है ताकि लागत कम हो और उत्पादकता बढ़े। साथ ही हमारे लक्ष्यों को पूरा किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पूर्वी क्षेत्र में काम हो रहा है, लेकिन गतिशीलता बनाए रखने की जरूरत है। किसान विकास से अपनी संस्कृति और परंपरा से जुड़ सकें, इसका ध्यान रखा जाए।
सबका साथ, सबका विकास के मंत्र के साथ हम बढ़ रहे हैं आगे
केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास के मंत्र के साथ हम आगे बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूर्वी क्षेत्र में आदिवासी समाज पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। जब देश का कोई हिस्सा पीछे रह जाता है। तो देश पीछे रह जाता है। यहां लाख उत्पादन बढ़ाने की काफी संभावनाएं हैं। दुनिया जैविक खेती की ओर लौट रही है। टिकाऊ खेती और उत्पादन में वृद्धि लेकिन दुनिया चिंतित है।
विकास की रीढ़ है कृषि
केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि वर्तमान में जलवायु परिवर्तन और कार्बन उत्सर्जन के बारे में चिंता है। भारत के लिए कृषि रीढ़ की हड्डी की तरह है। मिट्टी की उर्वरता को लेकर चिंतित रहें और जल प्रदूषण पर अंकुश लगाने के लिए भी काम करने की जरूरत है। इसके साथ ही भविष्य की जरूरतों के हिसाब से उत्पादन बढ़ाने का काम किया जाए। हम गेहूं-चावल में आत्मनिर्भर हुए हैं, अब तूर दाल में भी यही लक्ष्य रखा गया है। सरकार ने एक विशेष पोर्टल लॉन्च करके योजनाबद्ध तरीके से इस दिशा में तेजी से काम करना शुरू कर दिया है। केंद्र सरकार राज्यों के माध्यम से कृषि और किसानों के विकास के लिए कई योजनाएं चला रही है।