इलायची की खुशबू जितनी अच्छी होती है, इसको खाने के फायदे भी उतने ही हैं। इलायची का उपयोग भारत में चाय से लेकर मिठाई तक मे Flavor essence के तौर पर किया जाता है। ऐसे में पूरे साल इलायची की मार्केट में डिमांड भी रहती है। ऐसे में इलायची की खेती किसानों के लिए एक फायदे का सौदा हो सकती है।
आइए जानतें हैं की कैसे की जाती है इलायची की खेती?
इलायची की खेती के लिए ठंडे वातावरण को सबसे अच्छा माना जाता है। इसकी खेती के लिए काली दोमट मिट्टी और 10 से 35 degree temperature को सबसे अच्छा माना जाता है।
भारत में इलायची की खेती के लिए March से June तक के समय को सर्वोत्तम माना जाता है। इस समय कई इलाकों मे बारिश होने की वजह से इसकी फसल को अधिक सिंचाई की ज़रूरत नही पड़ती।
एक चीज़ का ख़ास ख़्याल रखे की इलायची के पौधे को हमेशा छाए मे ही रखे, धूप इसकी फसल को काफी नुकसान पहुंचा सकती है।
कैसे कर सकतें है इलायची की खेती?
इलायची की खेती करने के लिए बारिश से पहले Nursery तैयार की जाती है। Nursery के लिए एक किलो बीज उपयुक्त होता है।
इलायची के पौधे जैसे ही Nursery मे एक फीट के हो जाएं उसके बाद ही इन्हें खेतों में लगाना चाहिए। जिसके बाद इसकी रोपाई की जानी चाहिए।
इलायची का पौधा लगने के दो साल के बाद फल देना शुरु करता है। फल आने के दो हफ्ते बाद इसको तोड़ा जाता है।
क्या होती है बाज़ार में इलायची की कीमत?
बाजार में इलायची की कीमत उसकी क्वालिटी को देखते हुए तय की जाती है। बाज़ार में हरी इलायची की कीमत 1000 से 7000 रूपए तक हैं।
इलायची के रंग को बरकरार रखने के लिए करे ये उपाय
इलायची के हरे रंग को बरकरार रखने के लिए इलायची की कटाई के बाद इसे 2% Washing soda में भिगोया जाता है। जिसके बाद इसे Electric Drier और धूप में 14 से 15 घंटे तक सूखाया जाता है।
सूखने के बाद इसे तार की छाल से रगड़ा जाता है, जिसके बाद इसकी छांटाई की जाती है और फिर इसे मार्केट में बेचा जाता है।