गीतांजलि दलवी
महाराष्ट्र में इस साल बारिश नहीं होने की वजह से कई जगहों पर पानी की किल्लत हो गई है और इसके कारण पशुचारे की समस्या भी गंभीर होने की आशंका है। इस बीच परभणी जिले में आने वाले समय में चारे की कमी को देखते हुए प्रशासन की ओर से अहम फैसला लिया गया है। जिले में उत्पादित चारा, पोल्ट्री फीड और टोटल मिक्स राशन (टीएमआर) के परिवहन पर अन्य जिलों में प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह भी निर्देश दिया गया है कि जिले के बाहर के लोगों को चारे की नीलामी की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। ताकि जिले में चारे की कोई कमी न हो और कानून एवं व्यवस्था की समस्या उत्पन्न न हो।
वर्तमान में परभणी जिले में औसत से कम वर्षा के कारण, इस अवधि के दौरान पशुओं के लिए चारे की भारी कमी होने की संभावना है। जिले में पिछले साल की बुवाई रिपोर्ट के अनुसार एक अप्रैल 2023 से 3 लाख 65 हजार 174 मीट्रिक टन चारा बचा है। यह लगभग अप्रैल 2024 तक चलेगा। वहीं अब गर्मी का मौसम आने वाला है। जिसमें हरे चारे की उपलब्धता कम हो जाती है। चारे की कम उपलब्धता को देखते हुए उन्होंने भविष्य में चारे की कमी की संभावना से इंकार नहीं किया। इसलिए, यदि जिले में उत्पादित चारे के कुल मिश्रण राशन (टीएमआर) के परिवहन पर प्रतिबंध लगाया जाता है, तो अप्रैल, 2024 के अंत तक चारे की कोई कमी नहीं होगी।
राज्य के अन्य जिलों में नहीं ले जाया सकेगा चारा
प्रशासन ने जिले में उत्पादित चारा, मुर्गी पालन और टोटल मिक्स राशन (टीएमआर) को अन्य जिलों में ले जाने पर सावधानीपूर्वक प्रतिबंध लगा दिया है। कलेक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट रघुनाथ गावड़े ने दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा 144 के तहत उन्हें प्रदत्त शक्ति का प्रयोग किया है। परभणी जिला प्रशासन का यह आदेश यह बताने के लिए काफी है कि महाराष्ट्र में सूखे के बाद हालात कितने गंभीर हैं। इसी राज्य के एक जिले से दूसरे जिले में चारे के परिवहन पर रोक लगा दी गई है। ताकि आपके जिले के जानवरों को परेशानी न हो।
कम बारिश से बढ़ती चिंता
आलम यह है कि परभणी जिले में इस साल अपेक्षित बारिश नहीं हुई है। इसके चलते कई इलाकों में सूखे जैसे हालात देखने को मिल रहे हैं। इसलिए अब कुछ इलाकों में पीने के पानी की किल्लत हो गई है। चिंता की बात यह है कि बारिश कम होने से पशुओं के लिए चारे की पैदावार भी कम हो गई है। यदि हां, तो जिले में वर्तमान में उपलब्ध चारा अप्रैल तक चल सकता है। इस साल महाराष्ट्र में चारा संकट की वजह से इसकी महंगाई बढ़ गई है। जिससे पशुपालकों की चिंता बढ़ गई है। इससे भविष्य में दूध उत्पादन भी महंगा हो जाएगा।