स्वास्थ के दृष्टि से लाभदायक खीरे का सेवन अधिकतर सलाद के तौर पर किया जाता है। खीरा शरीर को ठंडक प्रदान कराती है इसलिए गर्मी में इसकी मांग बढ़ जाती है। गर्मी में किसान भी अधिकतर खीरे की खेती करतें हैं। एक तो खेती में लागत भी कम है और यह 40 से 45 दिन में तैयार हो जाता है।
औषधीय गुणों से संपन्न बालम खीरा
यूँ तो खीरे की कई किस्मे है और आम तौर पर खीरा लता वाला पौधा होता है। लेकिन खीरे की एक प्रजाति ऐसी भी है जो पेड़ पर उगता है। इस खीरे का नाम बालम खीरा है। बालम खीरा पूरी तरह से औषधीय फल है।
पश्चिम अफ्रीका का फल
इसका पौधा बड़ा होकर पेड़ बन जाता है। पूरी तरह से विकसित हो जाने पर इस पेड़ की ऊंचाई 15-20 मीटर तक हो जाती है। यह मूल रूप से पश्चिम अफ्रीका का फल है। इसकी खेती के लिए उष्ण कटबंधीय जलवायु की जरूरत होती है।
एंटीऑक्सीडेंट गुण
बालम खीरे में बहुत सारे एंटी ऑक्सीडेंट्स भी पाए जाते हैं। इनका प्रयोग लिवर से जुड़ी बीमारियों को ठीक करने के लिए किया जाता है। ऐसा देखा गया है कि इस खीरे की स्टेम में इसके पत्तों से ज्यादा एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं। बालम खीरे का पानी स्किन के लिए भी काफी लाभदायक होता है। इसे पीने से स्किन पर चमक आती है और एजिंग के लक्षण कम होते हैं।
भारत के कई राज्य में होती है खेती
भारत के कई राज्यों में किसान इसकी खेती करते हैं। इस फल में औषधीय गुण होते हैं। इसका सेवन लाभकारी माना जाता है। यह कि़डनी स्टोन को छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ने में मदद करता है इसलिए किडनी स्टोन के लिए यह फायदेमंद हैं। साथ ही इसके सेवन से पेट की सफाई भी अच्छे से होती है। इसके सेवन से शरीर पर किसी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।
इसके फूल का रंग लाल होता है और बाहर से पीले लाल रंग जैसा दिखता है। कच्चे फल और जूस के तौर पर इसका सेवन किया जाता है।