जलवायु परिवर्तन और बारिश की अनिश्चितता के कारण भारत में खेती के लिए पानी मिलाना मुश्किल हो गया है। बारिश की कमी से फसलों पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है। खेती के लिए हालात दिनबदिन और मुश्किल होते जा रहे हैं, ऐसे में पानी की गोली खेती के लिए वरदान साबित होगी। हाइड्रोजेल एक ऐसी पानी की गोली है जो जमीन में पानी की मात्रा बनाये रखती है।
खेती के लिए सिंचाई में पानी का एक बड़ा हिस्सा बर्बाद हो जाता है। वैज्ञानिक लगातार इस दिशा में काम कर रहे हैं जिससे पानी की बर्बादी को रोका जा सके और सूखे की स्थिति में किसानों की मदद की जा सके।
वॉटर स्टोरेज का काम कराती है Hydrogel
हाइड्रोजेल किसी पौधे के जड़ के क्षेत्र के चारों ओर वॉटर स्टोरेज के तौर पर काम करती है। पानी की उपस्थिति में, यह मूल मात्रा से करीब 200 से 800 गुना तक फैल जाती है। इसमें सिंचाई और बारिश का पानी रोकने की पर्याप्त संभावना है। इसे बाद में लंबे समय तक फसल की आवश्यकताओं के लिए इकट्ठा किया जा सकता है।फिर इसे धीरे-धीरे छोड़ा जा सकता है।
सूखे की मार को कम करने में सक्षम
साल 2018-2019 में भारत सरकार ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन की ओर से एक राष्ट्रीय हिमालयी मिशन के तहत त्रिपुरा की सेंट्रल यूनिवर्सिटी ने एक प्रोजेक्ट को शुरू किया गया था। इस प्रोजेक्ट के तहत सिंचाई में पानी की बर्बादी को रोकने, सूखे की मार को कम करने, उर्वरकों की क्षमता को बढ़ाने जैसे मकसद से रिसर्च को मंजूरी दी गई थी।
जमीन में जल ठहराव का स्तर 50 से 70 फीसदी तक बढ़ जाता
यूनिवर्सिटी के केमिकल एंव पॉलीमर इंजीनियरिंग विभाग के डॉक्टर सचिन भलाधरे के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने हाइड्रोजल को बनाने में सफलता अर्जित की थी। अपनी रिसर्च में उन्होंने पाया था कि हाइड्रोजेल से निर्धारित मात्रा में पानी वितरण की वजह से जमीन में जल ठहराव का स्तर 50 से 70 फीसदी तक बढ़ जाता है।
कैसे काम करता है हाइड्रोजेल
हाइड्रोजेल भी एक तरह का पॉलीमर ही होता है और यह एक चेन की तरह होता है। इसमें बीच में खाली जगह होती है और यह एकदम किसी जाल की तरह नजर आता है। उसमें भी बीच में खाली जगह होती है और उसी तरह से इसमें भी खाली जगह होती है। यहां पर पानी इकट्ठा हो जाता है और धीरे-धीरे यह पानी को छोड़ता है। इसमें इवैपरेशन यानी वाष्पीकरण नहीं होगा।
फूलों और फलों की गुणवत्ता भी बढ़ती है
इस रिसर्च की मानें तो लगातार पानी मिलने से खेतों में उपज तो बढ़ेगी ही साथ ही साथ फूलों और फलों की गुणवत्ता भी बढ़ती है। साथ ही साथ सूखे से भी खेती को बचाया जा सकेगा और फसले जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपट सकेंगी.