अपनी सुगंध के लिए दुनियाभर में मशहूर बासमती चावल के कारण भारत और पाकिस्तान के बिच बासमती युद्ध छिड़ गया है। भारत और पाकिस्तान दुनिया के सबसे बड़े चावल उत्पादक देश हैं। दोनों देशों में बासमती चावल भी उगाया जाता है। लेकिन फिलहाल दोनों देशों में इस बासमती चावल को लेकर खींचतान चल रही है। पाकिस्तान भारत से कम कीमत पर बासमती बेचकर विश्व में भारत की स्थिति हड़पने की तैयारी कर रहा है। मोदी सरकार के चावल निर्यात प्रतिबन्ध से यूरोपीय बाजार में पाकिस्तान का बासमती अपनी बढ़त बना रहा है।
पाकिस्तान की नजर यूरोपीय संघ के बासमती चावल बाजार पर
1990 के दशक में अमेरिका चालाकी से भारत में उगाई जाने वाली चावल की एक किस्म का पेटेंट हथियाने की कोशिश कर रहा था। लेकिन भारत ने इतने शक्तिशाली अमेरिका की योजना को विफल कर दिया था। अब भारत और पाकिस्तान के बीच भी ऐसा ही विवाद छिड़ गया है। इरवी सीमा क्षेत्र पर कब्ज़ा करने की कोशिश कर रहे पाकिस्तान की नज़र अब कृषि उपज पर है। कृषि उपज के अधिकार को लेकर पाकिस्तान सीधे तौर पर भारत से भिड़ रहा है। विश्व बाजार में चावल निर्यात बढ़ाकर पाकिस्तान ने एक तरह से भारत को मात दी है। पाकिस्तान की नजर यूरोपीय संघ के बासमती चावल बाजार पर है।
भारत दुनिया के 80 देशों को चावल निर्यात करता है। इसी तरह पाकिस्तान भी कुछ देशों को चावल निर्यात करता है। चावल निर्यात में भारत पहले और पाकिस्तान दूसरे स्थान पर है। लेकिन केंद्र सरकार द्वारा लगाए गए निर्यात प्रतिबंधों के कारण पाकिस्तान विश्व में अच्छा प्रदर्शन कर रहा है। पाकिस्तान भारत से कम कीमत पर बासमती बेचकर बासमती में भारत की स्थिति हड़पने की तैयारी कर रहा है। पाकिस्तान ने इसकी तैयारी 2021 से शुरू कर दी है।
बासमती चावल को मिले ‘संरक्षित भौगोलिक संकेत’ यानी पीजीआई का दर्जा
2020-21 में भारत ने यूरोपीय संघ के समक्ष मांग की थी कि बासमती चावल को ‘संरक्षित भौगोलिक संकेत’ यानी पीजीआई का दर्जा दिया जाये। पीजीआई का मतलब किसी पदार्थ या वस्तु को दिया जाने वाला संरक्षित भौगोलिक संकेत है। उस फसल या सामान या सामग्रियों के सभी उत्पादन पर मूल देश, कौन सा क्षेत्र और उस उत्पाद की क्या विशेषताएं हैं, के बारे में जानकारी दी जाती है। भारतीय बासमती अपनी सुगंध के कारण यूरोपीय देशों में काफी पसंद किया जाता है। भारत की इस मांग पर पाकिस्तान ने आक्षेप लिया है। भारत की मांग अनुचित है, क्योंकि हम भी बासमती उगाते हैं और इसके गुण भारत के बासमती चावल के समान हैं। इसलिए पाकिस्तान की मांग थी कि बासमती को भारत के नाम पर पीजीआई न दिया जाए।
बासमती चावल बाजार में भारत का विकल्प बना पाकिस्तान
भारत के बासमती को अगर पीजीआई का दर्जा मिल जाता तो इसका सीधा लाभ किसानों को होता। पश्चिम बंगाल में स्थित दार्जिलिंग विश्व में चाय के लिए जाना जाता है। दार्जिलिंग चाय को यूरोपीय संघ पहले ही पीजीआई दे चुका है। इसलिए, 2018 के बाद भारत से दार्जिलिंग चाय का निर्यात भी बढ़ गया है। यानी एक बार किसी फसल को पहचान मिल जाए तो उसकी मांग बढ़ जाती है। भारत में चावल निर्यात प्रतिबन्ध से पाकिस्तान ने अपने बासमती चावल को कम कीमत पर यूरोपीय संघ, जो भारत का असली बाजार है, भेजकर अवसर का लाभ उठाया शुरू कर दिया है। बासमती चावल के मामले में पाकिस्तान अब भारत का विकल्प बनकर सामने आया है। क्योंकि वैश्विक मांग के बावजूद भारत ने निर्यात पर रोक लगा दी है।