‘पीएम आशा योजना’ में हुए बड़े बदलाव, किसानों का बढ़ेगा मुनाफा

मोदी कैबिनेट में पीएम आशा योजना के दायरे बढ़ाकर किसानों के लिए बेहतरीन तोहफा दिया है। जिसमें किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य उपलब्ध कराते हुए उपभोक्ताओं को राहत देने के प्रयासों के तहत पीएम-आशा (PM AASHA) योजना में लगभग 35 हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। साथ ही किसानों को सस्ती दरों पर उर्वरक मुहैया करने के लिए रबी फसल सत्र पर फॉस्फेट और पोटाश (पीएडके) से युक्त उर्वरकों पर 24,474.53 करोड़ रुपये की सब्सिडी देने की मंजूरी दी है।

 

कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कैबिनेट से 35000 करोड़ रुपये के परिव्यय वाली पीएम आशा ( अन्नदाता आय संरक्षण अभियान) को मंजूरी दे दी गई है। योजना से किसानों को उनकी फसलों का लाभकारी मूल्य मिलेगा, जबकि उपभोक्ताओं को भी सस्ती कीमतें प्राप्त होंगी।

 

पीएम-आशा योजना में मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) और मूल्य स्थिरीकरण कोष (पीएसएफ) को एकीकृत किया गया है, जिससे योजना का कार्यान्वयन अधिक प्रभावी होगा। इस योजना के अंतर्गत, 2024-25 सत्र से एमएसपी पर अधिसूचित दलहन, तिलहन और खोपरा की खरीद राष्ट्रीय उत्पादन का 25 प्रतिशत होगा। हालांकि, अरहर, उड़द और मसूर के लिए यह सीमा लागू नहीं होगी, और इनकी 100 प्रतिशत खरीद की जाएगी। पीएम-आशा में अब पीएसएस, पीएसएफ, मूल्य नुकसान भुगतान योजना (पीओपीएस) और बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के घटक शामिल होंगे।

 

सरकारी गारंटी
सरकार ने दालों, तिलहन और खोपरा की खरीद के लिए मौजूदा सरकारी गारंटी को 45,000 करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया है। इससे किसानों को एमएसपी पर अधिक खरीद की सुविधा मिलेगी। कृषि विभाग द्वारा की जाने वाली खरीद नेफेड के ई-समृद्धि पोर्टल और एनसीसीएफ के ई-संयुक्ति पोर्टल के माध्यम से की जाएगी।

 

आये दिन बढ़ने वाले प्याज और दालों के दामों को कंट्रोल करने हेतु, पीएसएफ योजना का विस्तार दालों और प्याज के रणनीतिक बफर स्टॉक को बनाए रखने में मदद करेगा, जिससे कीमतों में अत्यधिक अस्थिरता से उपभोक्ताओं को बचाया जा सकेगा। इस योजना के अंतर्गत, जमाखोरी और सट्टेबाजी करनेवालों पर लगाम कसी जाएगी।

 

बाजार हस्तक्षेप योजना (एमआईएस) के कार्यान्वयन का विस्तार करने से किसानों को जल्दी खराब होने वाली बागवानी फसलों के लाभकारी मूल्य मिलेंगे। सरकार ने कवरेज को उपज के 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया है और एमआईएस के तहत वास्तविक उपज खरीदने के बजाय अंतर को सीधे किसानों के खातों में जमा करने का एक नया विकल्प जोड़ा है। इसके अतिरिक्त, टॉप (टमाटर, प्याज और आलू) फसलों के मामले में, मूल्य अंतर को पाटने के लिए NAFED और NCCF जैसी केंद्रीय नोडल एजेंसियों के माध्यम से सरकार द्वारा किए जाने वाले कार्यों के लिए परिवहन और भंडारण लागत वहन करने का निर्णय लिया गया है। चरम फसल के दौरान उत्पादक राज्य और उपभोक्ता राज्य, इससे न केवल किसानों को लाभकारी मूल्य मिलेगा बल्कि बाजार उपभोक्ताओं के लिए टॉप फसलों की कीमतें भी कम होंगी।

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