साधारण गेहूं के बारें में तो आपने सुना होगा लेकिन कभी आपने नीले गेहूं के बारे में सुना है। अगर नहीं तो हम बताते हैं आपको नीले रंग के गेहूं के बारे में जो पौष्टिकता से भरपूर है और कमाई में भी अव्वल । नीले रंग के गेहूं न केवल रंग में सामान्य गेहूं से अलग होते हैं बल्कि सामान्य गेहूं से कई गुना पौष्टिक और सेहत के लिए लाभकारी भी होता हैं। इस प्रकार के गेहूं के इस्तेमाल से ब्लड शुगर लेवर, कोलेस्ट्रॉल लेवल और बॉडी फैट लेवल को कम करने में सहायता मिलती है। नीले रंग के गेहूं की रोटियां सेहत के लिए अच्छी होती हैं। वहीं इससे बेकरी के उत्पाद ब्रेड और बिस्कुट बनाए जाते हैं जो रंग में नीले होते हैं और सेहत के लिए भी काफी अच्छे होते हैं।
कैसे होती है नीले रंग के गेहूं की खेती
काले और नीले और बैंगनी रंग के गेहूं की बुवाई मध्य नबंवर से मध्य दिसंबर तक की जाती है। इसकी उपज दर 17 से 19 क्विंटल प्रति एकड तक प्राप्त की जा सकती है। बात करें इस गेहूं की रंग की तो गेहूं में पाए जाने वाले एंथोसायनिन के कारण इसका रंग अपने आप काला, नीला या बैंगनी हो जाता है। यह दाना बनने के दौरान प्राकृतिक रूप से होता है। काले रंग के गेहूं में एंथोसायनिन पिगमेंट के कारण इसका रंग काला बनाता है। इसी प्रकार नीले रंग के गेहूं में भी इसी तत्व के कारण इसका रंग नीला हो जाता है। हालांकि इसकी खेती साधारण गेहूं की तरह ही होती है लेकिन इसमें कुछ विशेष सावधानी किसानों को बरतनी पड़ती है। इसका बीज किसानों को कृषि विभाग के माध्यम से उपलब्ध कराया जाता है। इसके भाव भी साधारण गेहूं के भाव से ज्यादा होते हैं ऐसे में नीले रंग के गेहूं की खेती किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है।
काले गेहूं के निर्यात के बाद अब नीले रंग के गेहूं का उत्पादन भी मध्यप्रदेश में शुरू हो गया है। बेकरी के उत्पाद बनाने में काम में आने वाले नीले रंग के गेहूं की मांग दूसरे देशों से भी आ रही है। इसका पेटेंट भी करा लिया गया है।