केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने महंगाई को कंट्रोल करने के लिए फिर एक फैसला किया है। असल में मुद्रास्फीति को कम करने के लिए, केंद्र ने व्यापारियों, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं और बड़ी खुदरा श्रृंखलाओं के प्रसंस्करणकर्ताओं के लिए गेहूं (wheat) के स्टॉक की सीमा को संशोधित किया है। व्यापारियों और थोक विक्रेताओं के लिए यह सीमा 1000 मीट्रिक टन से घटाकर 500 मीट्रिक टन कर दी गई है और यह 50 प्रतिशत की कटौती है। उपभोक् ता मामलों , में खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने कहा है कि गेहूं की कीमतों पर नियंत्रण और उपभोक् ताओं को गेहूं की आसान उपलब् धता सुनिश्चित करने के लिए गेहूं के स् टॉक की स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है। जमाखोरी और सट्टा रोकने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।
सभी गेहूं स्टॉक संस्थाओं को गेहूं स्टॉक सीमा पोर्टल (https://evegoils.nic.in/wsp/login) पर पंजीकरण करना होगा और प्रत्येक शुक्रवार को स्टॉक की स्थिति को अपडेट करना आवश्यक है। पोर्टल पर पंजीकृत नहीं पाए गए अथवा स्टॉक सीमा का उल्लंघन करते पाए गए किसी निकाय को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 6 और 7 के अंतर्गत समुचित दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। यदि इन संस्थाओं द्वारा धारित स्टॉक उपरोक्त निर्धारित सीमाओं से अधिक है, तो उन्हें अधिसूचना जारी होने के 30 दिनों के भीतर इसे निर्धारित स्टॉक सीमा के भीतर लाना होगा।
स्टॉक सीमा में क्या परिवर्तन हैं?
केंद्र और राज्य सरकारों के अधिकारी इन स्टॉक सीमाओं के कार्यान्वयन की बारीकी से निगरानी करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश में गेहूं की कोई कृत्रिम कमी उत्पन्न न हो। गेहूं की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए किए गए बदलावों को भी समझें। इससे पहले भी खुदरा दुकानों के लिए स्टॉक सीमा 5 मीट्रिक टन थी और अब भी यही सीमा बनाए रखी गई है। बड़े प्रोसेसर के लिए मासिक स्थापित क्षमता के 70 प्रतिशत के बजाय 60 प्रतिशत पर सीमा तय की गई है।
रिटेल चेन के लिए 5 मैट्रिक टन ही रखेंगे
बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं के प्रत्येक आउटलेट के लिए 5 मीट्रिक टन की सीमा समान रहेगी। लेकिन उनके सभी डिपो में 1000 मीट्रिक टन के बजाय, अब सीमा 500 मीट्रिक टन होगी।
ओपन मार्केट सेल की गणना
मंत्रालय ने कहा है कि गेहूं और आटे की महंगाई कम करने के लिए सरकार ने ओपन मार्केट सेल स्कीम (ओएमएसएस) के तहत कई कदम उठाए हैं। एफसीआई रियायती मूल्य पर 101.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं की नीलामी कर रहा है। इसके लिए मात्र 2150 रुपये प्रति क्विंटल लिया जा रहा है। जनवरी-मार्च 2024 के दौरान आवश्यकता के आधार पर ओएमएसएस के तहत अतिरिक्त 25 एलएमटी को उतारा जा सकता है। अब तक, एफसीआई द्वारा साप्ताहिक ई-नीलामी के माध्यम से 80.04 एलएमटी गेहूं प्रसंस्करणकर्ताओं को बेचा गया है। दावा किया जा रहा है कि इससे खुले बाजार में सस्ते दामों पर गेहूं की उपलब्धता बढ़ी है, जिसका फायदा देशभर के आम उपभोक्ताओं को मिला है।
सहकारी एजेंसियों को भी मैदान में उतारा गया
एफसीआई, नाफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार जैसे केंद्रीय सहकारी संगठनों को आटा प्रसंस्करण और उनके आउटलेट के माध्यम से ‘भारत आटा’ ब्रांड मात्र 27.50 रुपये प्रति किलोग्राम के रियायती मूल्य पर बेचा जा रहा है। इन एजेंसियों को ‘भारत अट्टा’ ब्रांड के तहत आटा में बदलने और बिक्री के लिए 7.5 लाख मीट्रिक टन गेहूं आवंटित किया गया है। पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए नेफेड, एनसीसीएफ और केन्द्रीय भंडार के आबंटन की समय-समय पर समीक्षा की जा रही है।