सरकार ने गेहूं की जमाखोरी रोकने और कीमतों पर अंकुश लगाने के लिए थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, बड़े खुदरा विक्रेताओं और प्रसंस्करण फर्मों के लिए गेहूं स्टॉक मानदंडों को तत्काल प्रभाव से सख्त कर दिया है। केंद्रीय खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि व्यापारियों और थोक विक्रेताओं के लिए गेहूं स्टॉक सीमा 2,000 टन से घटाकर 1,000 टन कर दी गई है । उन्होंने कहा कि प्रत्येक खुदरा विक्रेता के लिए भंडारण सीमा 10 टन के बजाय पांच टन, बड़े खुदरा विक्रेताओं के प्रत्येक डिपो के लिए पांच टन और उनके सभी डिपो के लिए यह सीमा कुल मिलाकर 1,000 टन होगी।
उन्होंने कहा कि गेहूं प्रसंस्करण कंपनियां वित्त वर्ष 2023-24 के शेष महीनों के अनुपात में मासिक स्थापित क्षमता का 70 प्रतिशत रख सकती हैं। चोपड़ा ने कहा कि गेहूं की कृत्रिम कमी की स्थिति को रोकने और जमाखोरी पर अंकुश लगाने के लिए ऐसा किया गया है। संशोधित स्टॉक सीमा तत्काल प्रभाव से लागू होगी। उन्होंने कहा कि व्यापारियों को संशोधित सीमा तक अपना स्टॉक क्लियर करने के लिए 30 दिन का समय दिया जाएगा।
सरकार को देनी होगी जानकारी
एक आधिकारिक बयान के अनुसार, सभी गेहूं भंडारण फर्मों को गेहूं स्टॉक सीमा पोर्टल पर खुद को पंजीकृत करना होगा और हर शुक्रवार को अपने स्टॉक की रिपोर्ट देनी होगी। पोर्टल पर पंजीकरण नहीं कराने वाली अथवा स्टॉक सीमा का उल्लंघन करने वाली फर्म के विरूद्ध आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 6 एवं 7 के तहत समुचित दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी।
मई 2022 में लगाया था गेहूं निर्यात में बैन
12 जून को, खाद्य मंत्रालय ने मार्च 2024 तक अनाज व्यापारियों पर स्टॉक रखने की सीमा तय की थी । 14 सितंबर को व्यापारियों और थोक विक्रेताओं और उनके सभी डिपो में बड़े खुदरा विक्रेताओं के लिए सीमा को घटाकर 2,000 टन कर दिया गया था। सरकार ने मई 2022 से गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसके साथ ही फ्री मार्केट सेल स्कीम के तहत होलसेल यूजर्स को रियायती दर पर गेहूं बेचा जा रहा है।