सरकारी धान खरीद में देरी से ओडिशा के कुछ जिलों में किसान परेशान हैं। ऐसे में किसान व्यापारियों को कम दाम पर धान बेचने को मजबूर हैं। इससे उन्हें आर्थिक नुकसान हो रहा है। लेकिन कोई विकल्प न होने से वे असहाय हो गए हैं। कंदरापटिया गांव के किसान महेंद्र दास ने बताया कि खरीदी केंद्र तक धान ले जाने की भी सुविधा नहीं है। किसान काफी परेशानियों का सामना करने के बाद धान बेचने के लिए रामनगर स्थित प्राथमिक कृषि सहकारी समिति (पैक्स) पहुंच रहे हैं।
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एक किसान ने कहा कि उसके गांव जम्बू से 10 किमी दूर एक मंडी है और रास्ते में एक नदी भी है। ऐसे में किसानों के लिए धान बेचने और उपज को बाजार तक ले जाने के लिए नदी पार करना काफी मुश्किल है। “पिछले हफ्ते, मैंने तीन क्विंटल धान 4,500 रुपये में बेचा था।जबकि सरकार ने एक क्विंटल एफएक्यू (उचित औसत गुणवत्ता) धान की कीमत 2,203 रुपये तय की है। इसी तरह, बटीघर गांव के विद्याधर बेहरा ने अधिकारियों से खरीद प्रक्रिया में तेजी लाने का आग्रह करते हुए अपने सामने आने वाली समस्याओं के बारे में बताया।
धान की खरीद में देरी क्यों हो रही है?
आरोप है कि पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश के चावल व्यापारी देरी का फायदा उठा रहे हैं, जिससे स्थिति और जटिल हो गई है। पुलों के माध्यम से कनेक्टिविटी की कमी के कारण, काजलपटिया और बदातुबी सहित नदी के किनारे के गांवों में किसानों को अपनी उपज को मंडियों तक पहुंचाने के लिए जोखिम भरी देशी नौकाओं पर निर्भर रहना पड़ता है। ओडिशा राज्य नागरिक आपूर्ति निगम ने शुरू में 5 जनवरी से केंद्रपाड़ा जिले का संचालन शुरू कर दिया है। किसानों से 9.90 लाख मीट्रिक टन धान खरीदने की योजना थी। जिला नागरिक आपूर्ति अधिकारी, केंद्रपाड़ा, श्रीनिवास, साहू ने कहा है कि किसानों को इस मामले में चिंता करने की जरूरत नहीं है। धान विक्रय में आ रही समस्या का समाधान अधिकारी जल्द ही करेंगे।
मंडियों में नहीं पहुंच रहे किसान
इसी तरह कोरापुट जिले में भी धान खरीदी में देरी हो रही है। इससे जिले की मंडियों में किसानों की भीड़ धान बेचने नहीं आ रही है। जिले के लगभग 35,000 किसानों ने खरीफ धान की बिक्री के लिए पंजीकरण कराया है। इसके बावजूद जनवरी के पहले सप्ताह में परिचालन शुरू करने वाली 104 मंडियों में इतनी संख्या में लोग नहीं आ रहे हैं। अब तक लैंप, एसएचजी और पानी पंचायतों सहित खरीद एजेंसियां जिले में 23 लाख क्विंटल के लक्ष्य के मुकाबले केवल 17 लाख क्विंटल धान खरीद पाई हैं। हालांकि, लगभग 70 प्रतिशत मंडियां सीमित मात्रा में धान की खरीद कर रही हैं। केवल कुछ मंडियों जैसे जेपोर, कुंद्रा और कोटपाड में तेजी से धान की खरीद हो रही है।
जल्द ही समस्या का समाधान किया जाएगा
खरीद की धीमी गति इस लक्ष्य को प्राप्त करने में संदेह पैदा करती है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों के किसान मंडियों की परेशानियों से बचना पसंद कर रहे हैं और अपने घरों से सीधे व्यापारियों को लगभग 2,000 रुपये प्रति क्विंटल पर अपना धान बेचते हैं। कोरापुट जिला नागरिक आपूर्ति अधिकारी पीके पांडा ने स्वीकार किया कि पिछले साल की तुलना में मंडियों में किसानों की कोई खास भीड़ नहीं है। उन्होंने कहा कि खरीद लक्ष्य पूरा होने तक मंडियां चालू रहेंगी।