भारत में चार चरण के मतदान हो चुके हैं। इस दौरान मतदान में गिरावट का सिलसिला चौथे दौर में भी जारी रहा। चौथे चरण में 67.3 प्रतिशत मतदान हुआ। मतदान के यह आंकड़े परेशान करने वाले हैं। लोगों में चुनाव को लेकर उत्साह कम देखा जा रहा है। एक्सपर्ट की माने तो इससे मौजूदा सरकार को जितने में इससे कोई खास दिक्कत नहीं होगी लेकिन विरोधियों की परेशानी बढ़ सकती है। वही इलेक्शन के चढ़ उतार पर शेयर बाज़ार भी नजरे टिकाये हुआ है। बाजार इस बार भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन के लिए मजबूत जनादेश का अनुमान लगा रहा है।
वोटों में मामूली इजाफा या मामूली गिरावट आएगी
प्राइवेट वेल्थ मैनेजमेंट कंपनी बर्नस्टीन की माने तो पिछले चुनावों के आधार पर मतदान प्रतिशत और चुनाव परिणामों के बीच कोई साफ संबंध नहीं है। मतदान प्रतिशत के आंकड़ों को लेकर बहुत अधिक नहीं सोचना चाहिए। बर्नस्टीन का मानना है कि बीजेपी की सीटों की संख्या में गिरावट के लिए वोट प्रतिशत का कम होना जरूरी नहीं है। सत्ता विरोधी भावना के कारण साल 2014 के आंकड़ों से थोड़ा कम आंकड़े सामने आ सकते हैं। बीजेपी के लिए साल 2019 के आंकड़ों में या तो मामूली इजाफा होगा या फिर इसमें बहुत ही मामूली गिरावट आएगी।
आंकड़ों में बैलट वोटिंग शामिल नहीं
इन आंकड़ों में बैलट वोटिंग शामिल नहीं है। जब ईसीआई ने बैलट वोटों समेत पहले दो चरणों के लिए आखिरी डेटा जारी किया तो मतदान प्रतिशत में 5.5 प्रतिशत का इजाफा हुआ। इससे अंतर काफी कम हो गया। रिपोर्ट के अनुसार, इस बार बैलेट पेपर का असर पिछले सालों की तुलना में ज्यादा है। इसलिए प्रभाव जो नजर आ रहा है उससे कम होने की संभावना है।
स्विंग वोटर निभाएंगे अहम भूमिका
बर्नस्टीन ने मतदाताओं को तीन श्रेणियों में विभाजित किया है: पहला, एनडीए का अनुभवी समर्थक, दूसरा, एनडीए का अनुभवी गैर-समर्थक और तीसरा स्विंग वोटर- जो तुरन्त अपना रुख बदल लेते हैं और अंतिम क्षण में निर्णय लेते हैं कि किसे वोट देना है। बर्नस्टीन के मुताबिक स्विंग वोटर ने ही साल 2014 और 2019 में बीजेपी की निर्णायक जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। बर्नस्टीन ने माना कि बीजेपी और कांग्रेस दोनों का कोर वोटर बेस करीब 18-20 फीसदी होगा क्योंकि यह दोनों पार्टियों का न्यूनतम वोट शेयर है।
बढ़ेगी विरोधियों की परेशानी
नतीजे मुख्य तौर पर स्विंग वोटर्स की तरफ से तय किए जाते हैं। इन्होंने साल 2014 और 2019 में बीजेपी को भारी वोट दिया था। ये स्विंग वोटर्स ही हैं जिनके वोटिंग न करने की वजह से ही मतदान प्रतिशत ऊपर या नीचे जाएगा। बर्नस्टीन की माने तो मतदाताओं के मतदान से दूर रहने या सत्ता विरोधी लहर के कारण बीजेपी के वोटों में कमी आ सकती है। जबकि कांग्रेस को केवल सत्ता विरोधी लहर के कारण ही फायदा होगा। बात दें की सात चरणों वाला चुनाव 19 अप्रैल को शुरू हुआ और 1 जून को खत्म होगा। चुनाव के नतीजे चार जून को घोषित होंगे।