मशरूम की खेती किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प साबित हो सकती है, खासकर जब इसे सही समय पर शुरू किया जाए। अक्टूबर माह मशरूम की खेती के लिए आदर्श समय माना जाता है, और इसे अपनाने से किसानों को बेहतर मुनाफा हो सकता है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के किसान भी अब इस दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं और मशरूम की खेती कर रहे हैं। जिला उद्यान अधिकारी ने किसानों को यह जानकारी दी और बताया कि मशरूम की खेती से किसानों को बड़ा आर्थिक लाभ हो सकता है, बशर्ते कि वे इसे सही तरीके से करें और उपयुक्त समय पर शुरू करें।
मशरूम की खेती का सही समय
मशरूम की खेती के लिए सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर से शुरू होता है। मशरूम को उगाने के लिए 30 डिग्री से नीचे का तापमान आवश्यक होता है, और अक्टूबर माह से यह तापमान मिलने लगता है। इसलिए, जो भी किसान मशरूम की खेती करना चाहते हैं, उन्हें सितंबर माह से ही इसकी तैयारी शुरू कर देनी चाहिए, ताकि अक्टूबर से मार्च तक के बीच मशरूम की अच्छी पैदावार हो सके। इस अवधि में तापमान और मौसम अनुकूल होते हैं, जिससे मशरूम की खेती आसान और सफल हो जाती है।
मशरूम की खेती की तैयारी
मशरूम की खेती के लिए किसानों को कुछ विशेष तैयारियाँ करनी होती हैं। जिला उद्यान अधिकारी के अनुसार, मशरूम की खेती के लिए एक पॉलीहाउस या कमरे का सेटअप तैयार करना होगा, जहां तापमान नियंत्रित किया जा सके। तापमान को नियंत्रित करना इस प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि मशरूम ठंडे वातावरण में ही उगते हैं। इसके लिए किसानों को एक ऐसे स्थान का चयन करना होगा, जहां उन्हें तापमान को 30 डिग्री से कम बनाए रखने में आसानी हो।
खाद तैयार करना
मशरूम की खेती के लिए विशेष प्रकार के खाद का उपयोग किया जाता है, जिसे गेहूं या चावल के भूसे से तैयार किया जाता है। इस खाद को तैयार करने में लगभग एक माह का समय लगता है। खाद के तैयार होने के बाद, इसे 5 से 6 इंच मोटी परत के रूप में बिछाया जाता है, जिस पर मशरूम के बीज बोए जाते हैं।
यदि किसान पॉलीहाउस का खर्च नहीं उठा सकते, तो वे झोपड़ी में विशेष व्यवस्था करके भी मशरूम की खेती कर सकते हैं। इस स्थिति में भी खाद की मोटी परत बनाकर उसी प्रक्रिया को अपनाया जाता है। इसमें निवेश की लागत कम होती है, जिससे छोटे किसान भी इसका लाभ उठा सकते हैं।
मशरूम की खेती के लिए प्रशिक्षण
मशरूम की खेती करने के लिए आवश्यक जानकारी और प्रशिक्षण लेना भी आवश्यक है। जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि मेरठ के किसान इसके लिए प्रशिक्षण ले सकते हैं। मेरठ के ऐतिहासिक मेरठ कॉलेज में समय-समय पर मशरूम की खेती के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा, सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि विश्वविद्यालय, मेरठ में भी किसानों को मशरूम की खेती के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। यह प्रशिक्षण कार्यक्रम किसानों को इस खेती की तकनीकी जानकारी और बेहतर तरीके से मशरूम उगाने की जानकारी प्रदान करता है।
मशरूम की खेती के फायदे
मशरूम की खेती एक लाभदायक कृषि व्यवसाय है, जिसे कम निवेश के साथ शुरू किया जा सकता है। यह फसल कम समय में तैयार हो जाती है और इसका बाजार मूल्य भी अच्छा होता है। इसके अलावा, मशरूम की मांग साल भर बनी रहती है, खासकर शहरों में, जहां इसका उपयोग विभिन्न प्रकार के व्यंजनों में किया जाता है। इसलिए, किसानों को मशरूम की खेती से स्थायी आय का साधन मिल सकता है।
मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार और कृषि विभाग भी समय-समय पर विशेष योजनाएँ चलाते हैं। किसानों को इस दिशा में जागरूक करने के लिए प्रशिक्षण और मार्गदर्शन कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इसके अलावा, मशरूम की खेती को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक संसाधनों और तकनीकों की भी उपलब्धता सुनिश्चित की जाती है।
निष्कर्ष
अक्टूबर माह में मशरूम की खेती का सही समय होता है, और इस समय पर शुरू की गई खेती किसानों को अच्छा मुनाफा दिला सकती है। इसके लिए जरूरी है कि किसान सही तैयारी करें और तकनीकी जानकारी हासिल करें। अगर किसान समय पर मशरूम की खेती की प्रक्रिया को अपनाते हैं, तो वे मार्च तक इसके माध्यम से अच्छी कमाई कर सकते हैं।